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मैं तुम्हारे भीतर रहता हूँ

main tumhare bhitar rahta hoon

मनोज कुमार पांडेय

मनोज कुमार पांडेय

मैं तुम्हारे भीतर रहता हूँ

मनोज कुमार पांडेय

और अधिकमनोज कुमार पांडेय

    मैं तुम्हारे भीतर रहता हूँ

    जैसे मछलियाँ पानी में रहती हैं

    जैसे धूल हवा में रहती है

    जैसे पत्तियों में रहता है हरापन

    जैसे फूल में रहती है महक

    जैसे चाँदनी में रहता है चाँद

    जैसे आकाशगंगा में रहती है पृथ्वी

    जैसे हथेली में रहता है हथेली का निशान

    जैसे पानी में पानी रहता है

    जैसे हवा में हवा रहती है

    जैसे हवा में जगह रहती है

    जैसे धरती में रहते हैं खनिज

    जैसे सूरज में रहती है आग

    जैसे रौशनी में रहते हैं रंग

    जैसे मिट्टी में रहती है गमक

    जैसे समुंदर में रहता है नमक

    मैं तुम्हारे भीतर रहता हूँ

    जैसे मेरे भीतर रहता है ख़ून

    जैसे ख़ून में रहता है लोहा

    जैसे एक जीवन में छुपा रहता है दूसरा जीवन

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनोज कुमार पांडेय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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