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मई 2021

mai 2021

हरिओम राजोरिया

और अधिकहरिओम राजोरिया

    बहुत लोगों से आँख नहीं मिला पा रहा

    बहुत लोगों के पास नहीं जा पा रहा

    एक मृत्यु समाचार के आने की आशंका है

    दूसरा मृत्यु समाचार उससे पहले गया

    ये घंटी किसकी बज रही है

    किसका मोबाइल घनघना रहा है

    कल नंदू हलवाई नहीं रहे थे

    मरने वालों में आज

    विष्णु और प्रेमनारायण कक्कू का नाम रहा है

    संतोष, आदित्य, रवींद्र, ज़ाहिद, पयोधि

    संज्ञा, समीर, अनीश, सतीश, सोनल

    पता नहीं कितने साथियों के

    घर के बुज़ुर्ग चले गए

    सिरसी-पछार की मीना बहिनजी चली गईं

    टेलीफ़ोन वाले राठौर साहब चले गए

    इतिहास के कीड़ा रामभरोसे रहे

    चले गए अँग्रेज़ी वाले सक्सेना साहिब

    कुंभ से लौटे रज्जु मौसा चले गए

    वकील साहिब चले गए

    गिरदावर साहिब चले गए

    ऊँचे-ऊँचे ओहदे वाले चले गए

    जवान-जवान लड़के चले गए

    छोटी बहर की ग़ज़ल कहने वाले

    गुना के रामलखन चले गए

    चित्रकार, कवि, फ़ोटॉग्राफ़र चले गए

    तनक़ीद निगार चले गए

    तहज़ीब के आलिम चले गए

    बैंकर, इंजीनियर, थानेदार चले गए

    किराना किंग, बैंड मास्टर, लंबरदार चले गए

    तूफ़ान के चलते तेज़ हवा चल रही है

    अस्पतालों में भी कोरोना टेस्टिंग चल रही है

    नदी किनारे बालू के नीचे दबी लोथ

    भीतर ही भीतर कसमसा रही है

    पता नहीं ये किसकी अस्थियों की थैली है

    कौन इसे नीम की डगाल पर टाँग गया

    एक लड़के की पीठ पर बेंत के निशान है

    एक लड़का अस्थि-संचय के लिए

    हैंडपंप पर कोरा घड़ा भर रहा है

    एक आंटी की खोज में बाज़ार गया था

    पर चौराहे पर मुर्ग़ा बना बैठा है

    कोरोना केस कम हो रहे हैं

    मृत्यु भय कम नहीं हो रहा

    अस्पताल इससे पहले

    इतने डरावने कभी नहीं थे

    जन नेता नियति का रोना रोकर

    हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं

    ठेके के आदमी काम की तरह

    अपरिचितों की लाशें जला रहे हैं

    इस बार की मई में

    गर्मी से ज़्यादा उमस है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : हरिओम राजोरिया
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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