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ग़ज़ल की तरह

ghazal ki tarah

धर्मेश

धर्मेश

ग़ज़ल की तरह

धर्मेश

और अधिकधर्मेश

    दोस्तों के नाम लिखे ख़त दुश्मनों को भेज दिए

    उस तरफ़ से जवाब आने की उम्मीद ज़्यादा थी

    बुतपरस्ती से दिखेगा किसी ने कहा नमाज़ में मिलेगा

    बहिश्त में उसके होने से भी आने की उम्मीद ज़्यादा थी

    ऐसे बेदिल सनम ने कर लिया है मिरे दिल को क़ैद

    छूट जाने से पहले मौत आने की उम्मीद ज़्यादा थी

    जान-ओ-जहाँ करता रहूँ उस मुहब्बत-ए-गर्दा पर निछावर मगर

    उसका सामने से गुज़र अनदेखा करने की उम्मीद ज़्यादा थी

    ऐसा नहीं है कि वो बेख़बर था मिरी कश्मकश से

    मगर मुझे भूल जाने की उसे उम्मीद ज़्यादा थी

    हर सुबह उसकी आँखों के ख़याल से खुलती मेरी आँखें

    उसकी आँखों में मगर मेरी साँसों के बंद होने की उम्मीद ज़्यादा थी

    शाइरों ने दम भर मुझे चेताया मुहब्बत करिए

    मगर उसे देख मिरे शाइर होने की उम्मीद ज़्यादा थी

    स्रोत :
    • रचनाकार : धर्मेश
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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