केन ने कछारों के स्वेटर, ज्यों बुन दिए
ken ne kachharon ke sweater, jyon bun diye
कृष्ण मुरारी पहारिया
Krishna Murari Pahariya
केन ने कछारों के स्वेटर, ज्यों बुन दिए
ken ne kachharon ke sweater, jyon bun diye
Krishna Murari Pahariya
कृष्ण मुरारी पहारिया
और अधिककृष्ण मुरारी पहारिया
केन ने कछारों के स्वेटर, ज्यों बुन दिए
सरसों के बीच फूल अलसी के चुन दिए
बड़ी सुघर लड़की है, दिन भर बुनती रहती
इनकी-उनकी झिड़की-ताने सुनती रहती
मछली-सी अँगुलियाँ चलाती ही रहती है
मन ही मन कल-कल बतियाती ही रहती है
जाने किस गुइयाँ ने इसको ये गुन दिए
घर से बाहर निकली, अपना पथ खोज लिया
जग का संताप हरे, ऐसा यश-ओज लिया
सूरज की किरनों में, इस तरह दमकती है
पुतली ज्यों श्यामा की आँख की चमकती है
तटवर्ती कितने लंपट कगार धुन दिए
- पुस्तक : यह कैसी दुर्धर्ष चेतना (पृष्ठ 87)
- रचनाकार : कृष्ण मुरारी पहारिया
- प्रकाशन : दर्पण प्रकाशन
- संस्करण : 1998
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