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लक्ष्यहीन यात्रा का दुखांत

lakshyhin yatra ka dukhant

अनुवाद : क्षमा कौल

शफ़ी शौक़

शफ़ी शौक़

लक्ष्यहीन यात्रा का दुखांत

शफ़ी शौक़

और अधिकशफ़ी शौक़

    अभी-अभी नहा-धो

    पहना मैंने धोबी-धुला पोशाक।

    पीठ से सटाकर पीठ

    सिर्फ़ मैं

    निगूढ़ तिमिर का ढूँढ़ रहा हूँ सूत्र

    तमस का यह बियाबान

    अपरिमेय फैली

    बेहिसाब रात।

    नया पग, नया क्षण

    अविश्वसनीय।

    पैरों तले की ज़रा-सी जगह

    जीने की मात्र-आशा।

    बला का अजान भय।

    फटने को ही रही है

    प्रतिरोध को उद्यत

    रात।

    रंग-बिरंगा यह सौदा

    गठरी में बाँध अब हम दोनों

    सिरहाने रखेंगे—

    ख़ूनी लबादा

    किसी बड़े दिन पर किया

    आर्तनाद-सा।

    चूल्हे के तत्वावधान में

    किसी झींगुर की झंकार

    मीठी-सी उष्मा जो पाई

    और त्वचा की उत्कंठा मिटी।

    या जल की उठी लहर में

    हाथ आई मछली की

    पकड़ बस आधी—मगर

    तारकों के हिज्जों से नभ पर

    लिखा निर्देश

    मानो—शांतिमय ढंग से लिखा गया

    वह भी

    सागर में सुप्त लहरें सुनकर

    पगलाई, हो उठी अधीर।

    कुछ अफ़सोस।

    कुछ शाबास।

    और कुछ मुबारक।

    ताप में तप रहा

    हवाओं में सूख रहा

    यह बेकशिश, असुंदर देह

    जो भी ब्याहा गया था आयु से

    आया और चलता बना

    सारे आवर्त अंततः

    जम गए मेरे पैरों के आस-पास

    अब।

    कौन खटखटाएगा द्वार

    छालों के जल से सीले पदचिह्न

    सघन स्मृतियाँ

    किसी वचन की आस

    एक धूल कण...

    हवा से उठा ऊपर

    गर्द में हुआ विलीन फिर

    तृण-ज्यों जम गया

    मिट्टी निर्मित दीवार में

    बस बना रहा आजन्म

    दीवार के काले साए में

    पीठ से सटाकर पीठ फ़क़त

    रंग-बिरंगा सौदा गठरी में बाँध

    दोनों रखेंगे सिरहाने

    टूटी क़लम से गिरा

    स्याही का क़तरा

    जब तक करेगा प्रतीक्षा

    करामात हुई कि काली छाया

    और काली दीवार छोड़

    चाहा मापूँ गहराई तम की

    उर में

    भय की तीव्रतम कटार

    इंतज़ार, इंतज़ार, इंतज़ार

    सीना कूटती

    बमुश्किल तेज़ाब-सा तीव्र जल

    होंठों तक पहुँचते हुए

    अनायास फूट पड़ा

    उल्लास बन कर।

    (मूल शीर्षक: बेमंज़िल सफरुक नागहां अंजाम)

    स्रोत :
    • पुस्तक : उजला राजमार्ग (पृष्ठ 173)
    • संपादक : रतनलाल शांत
    • रचनाकार : शफ़ी शौक़
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2005
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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