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कामना उसे पाने की

kamna use pane ki

सविता सिंह

सविता सिंह

कामना उसे पाने की

सविता सिंह

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    एक साँस आती है

    जाती है एक

    एक संसार उम्मीदों पर सिर रखे

    अपने दुःखों में स्पंदित है

    एक हवा लाती है सुख

    एक ले जाती है अनजानी किसी घाटी में उसे

    छोड़ आती है अपनी यात्रा के सारे चिह्न

    पहाड़ों और पत्थरों पर कहीं

    अपने पैरों का मुझे भी कुछ पता नहीं

    किधर जाते हैं वे और क्यों

    कविता ही ले जाती है मुझे जिधर वह चाहती है

    आजकल

    एक साँस आती है

    जाती है एक

    एक शरीर अपनी देह खोजता है

    एक दुःख बदलता है उसे काया में

    स्पंदन में बची रहती है इच्छा

    संसार करवटें बदलता है

    ऋतुएँ अपने वस्त्र

    छटपटाती रहती है तो बस कामना

    उसे पाने की जो है ही नहीं कहीं

    स्रोत :
    • पुस्तक : स्वप्न समय (पृष्ठ 83)
    • रचनाकार : सविता सिंह
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2013

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