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कलकत्ता रिटर्न

kalkatta ritarn

सिद्धेश्वर सिंह

सिद्धेश्वर सिंह

कलकत्ता रिटर्न

सिद्धेश्वर सिंह

और अधिकसिद्धेश्वर सिंह

     

    भले दिनों की बात है
    भली सी एक शक्ल थी
    न ये कि हुस्न-ए-ताम हो
    न देखने में आम सी 

    — अहमद फ़राज़

    बहुत बाद में यह पता चला
    कि जिसे हम शहर समझते थे
    वह दरअस्ल एक छोटे क़द का साधारण क़स्बा था
    जिसका एक भला-सा नाम होता था दिलदार नगर
    जो कि अब भी वही है पुराने प्यार की तरह मुलायम और मासूम

    क़स्बे को दो फाँक में आर-पार बाँट देती थीं रेल की पटरियाँ
    पूरब की ओर जाने वाली गाड़ियाँ कलकत्ता की ओर जाती थीं
    और पश्चिम की ओर जानेवालियों का गंतव्य ठीक-ठीक पता नहीं था
    अलबत्ता उसी दिशा में पहला बड़ा स्टेशन पड़ता था—मुग़लसराय
    सुना है अब जिसका नया नाम हो गया है लगभग वाक्य सरीखा दीर्घकाय

    यह भले दिनों की बात थी
    जिसे इतिहास की किसी किताब में कहीं दर्ज नहीं होना था
    यह अलग बात है कि
    दृश्य से ग़ायब हो रहे थे भाप से चलने वाले इंजन
    फिर भी जल्वा बरक़रार था साइकिलों का
    और आश्चर्यवत नहीं देखे जाते थे चौड़े पाँयचे वाले पाजामे

    बदल रहा था संसार
    बदल रहा था पहनावा
    तब क़स्बे में उँगलियों पर गिनी जाने जितनी दुकानें थीं दर्ज़ियों की
    जो धीरे-धीरे परिवर्तित रही थीं टेलरिंग शॉप में
    उनके ऊपर उदित होने लगे थे हिंदी में लिखे साइनबोर्ड
    जिन पर लिखा रहता था दुकान और टेलर मास्टर का नाम
    कुछेक पर कोष्ठक में लिखा रहता था—‘कलकत्ता रिटर्न’
    समझदार या शौक़ीन ग्राहक के लिए यह पर्याप्त इशारा था कि कलकत्ता जैसे बड़े शहर से काम सीखकर
    अपने गाँव में लौटे कारीगर ने क़स्बे में खोली है
    नई काट के कपड़े सिलने की यह टेलरिंग शॉप

    यह भले दिनों की बात थी
    तब ‘लौटना’ एक क्रूर शब्द नहीं था हमारी भाषा का
    जैसा कि वह इन दिनों समाचारों में है बड़ी ख़बर की तरह
    अपने घर के सुरक्षित घेरे में घिरा सोचता हूँ
    क्या आज सचमुच सही साबुत लौटकर आया कोई टेलर मास्टर
    कभी अपनी दुकान के साइनबोर्ड पर सहज होकर लिखवा पाएगा
    कलकत्ता रिटर्न की तर्ज़ पर मुंबई, सूरत या अहमदाबाद रिटर्न जैसा कोई शब्द

    कवि केदारनाथ सिंह होते तो फ़ोन मिलाकर उन्हें बताता
    कि इस कोरोना काल में ‘जाना’ नहीं
    बल्कि ‘लौटना’ हिंदी की सबसे ख़ौफ़नाक क्रिया है!

    स्रोत :
    • रचनाकार : सिद्धेश्वर सिंह
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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