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कलकत्ता 2018

kalkatta 2018

गिरिराज किराडू

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कलकत्ता 2018

गिरिराज किराडू

और अधिकगिरिराज किराडू

    नूतन बाज़ार टैगोर कासल और ढाकापट्टी नहीं लौट पाया

    गणेश टाकीज़ और प्रभात सिनेमा भी नहीं

    देखी वह नदी जो नानी ने नौ की उम्र में तैर कर पार की

    हावड़ा ब्रिज पर लोहे और शोर को उस थप्पड़ की तरह सुना

    जो बग़ल वाले कमरे के सोनीनानाजी ने 1982 में अपने ‘नौकर’ को मारा था

    यह शहर मेरी नानी का उपन्यास है

    यहाँ वह नौ बरस की उम्र में ब्याह कर आई थी

    उसने यह उपन्यास मुझे लिखने के लिए सुनाया था

    मैं अपनी मृत्यु के फेर से बाहर निकला

    कलकत्ता लिखना है

    स्रोत :
    • रचनाकार : गिरिराज किराडू
    • प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका

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