Font by Mehr Nastaliq Web

जो वर्ष बीते, जो रहे

jo warsh bite, jo rahe

उमाशंकर जोशी

उमाशंकर जोशी

जो वर्ष बीते, जो रहे

उमाशंकर जोशी

और अधिकउमाशंकर जोशी

    एक

    बीते वर्ष,

    पता ही रहा कैसे वे बीते?

    स्वप्नोल्लास में बीते मृदु करुण हास में विलीन हुए!

    ग्रहण किया आयुष्यथ कभी स्मितयुक्त, कभी भयभरा!

    मानो सदा निद्रा में ही डग भरता होऊँ इसी प्रकार चलता रहा।

    हृदय में जो प्रणय-भार जमा हुआ है,

    वह क्षण-भर भी चैन नहीं लेने देता,

    कार्य और काव्य में वह प्रकट हुआ,

    जग-मधुरिमा पद-पद पर पीकर,

    सौहार्दो का मधुपुट रचकर,

    अविश्रांत रूप से विलसित होता रहा!

    अरे यह हृदय!

    आयुष्पथ को इसी ने तो रसमसा दिया!

    ऐसा नहीं कि—

    मार्ग में विष, विषम स्वन-भय असत् संयोगों की

    अदया नहीं आई!

    किंतु सभी ही संजीवन बन गए;

    किसी संकेत से अनेक काँटे कुसुम से हो गए!

    तिरस्कारों के मध्य में भी कहीं से गूढ़ करुणा प्रकट हुई!

    कभी दीखते हैं,

    कभी डूबते हैं,

    वे अरुण शिवत्व के शृंग

    मैं तो रटता ही रहा...

    और जाने कैसे वर्ष बीते...!

    दो

    जो वर्ष रहे उनमें…

    हृदय भर जगत् का सौंदर्य पी ले भाई!

    मुँह लटकाए फिर!

    सप्तपद का सख्य—

    अगर यहाँ कभी मिल जाए

    तो तू उसे मधुरतम बना ले!

    भाई तेरे ही लिए यह दुनिया ‘दुष्ट’ नहीं बनाई गई!

    आः! नाना रंगी निराली दुनिया! तुझे कैसे समझा जाए?

    भोलेपन से मैं तुझे पलटने का प्रयत्न करता हूँ

    और मैं पलट जाता हूँ!!

    तिस पर अहंगर्ता मैं, हा, पैर फिसल जाता है!

    पर अगर मैं ‘मैं’ को भूलकर व्यवहार करूँ

    तो तू कितनी मधुरता से बाज आती है!

    मुझे निमंत्रित कर रहे हैं—

    वह मीठी धूप

    दक्षिण हवा

    दिशाओं का हास

    गिरिवरों के गौरवमय शृंग

    रात्रि के किसी कोने में हृदय में

    शशि-किरणों का आसव चू रहा है!

    जन उत्कर्ष में हास में परम ऋत लीला ही विलसित हो रही है!

    सारी स्नेह-सुषमा को आकंठ पीकर

    भुवनों से यह कहूँगा—

    जीवन के जितने वर्ष प्राप्त हुए उनमें

    ‘अमृत ले आया अवनि-तल का!’

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविता 1953 (पृष्ठ 219)
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक रंधीर उपाध्याय, आनंदीलाल तिवारी, सुन्दरम्
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 1956

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए