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जिस दिशा में मेरा भोला गाँव है

jis disha mein mera bhola ganw hai

संदीप निर्भय

संदीप निर्भय

जिस दिशा में मेरा भोला गाँव है

संदीप निर्भय

और अधिकसंदीप निर्भय

    क्या बारिश के दिनों धोरों पर गड्डमड्ड होते हैं बच्चे

    क्या औरतों के ओढ़नों से झाँकता है गाँव

    क्या बुज़ुर्गों की आँखों में बचा है काजल

    क्या स्लेट पर घड़ी भर सुस्ताता है सूरज

    क्या युवतियाँ चुन्नी के पीछे छिपाती है प्रेमी का नाम

    क्या पनिहारियों के सपनों में आती है

    कुंड में पड़ी पीतल की बाल्टी

    क्या बिलावने के साथ धड़कती है जिजीविषा

    क्या बेरोज़गारों की जेबों में खनकते हैं सिक्के

    क्या शहर से लौट आए हैं युवा फिर से लौट जाने के लिए

    क्या थार की अंजुरी में बचा है चोंच भर पानी

    क्या मोर की कलंगी पर थिरकता है आषाढ़

    क्या रटता है सुआ राम-राम

    क्या करधनी पर झूलते हैं तीज-त्यौहार-वार

    क्या पहले सावन में बहुएँ चली गई हैं पीहर

    क्या कबूतरों के पंखों में छिपी हैं राजकुमारियाँ

    क्या रोज़ राजू चमार, खेमाराम के जलते हैं चूल्हे

    क्या शंकर चौधरी ने सबके लिए बनाई है खाट

    क्या पंडित दीनदयाल ने बिछाई है जाजम

    क्या रहीम काका ने सुनाई है मिट्ठी वाली मीठी नज़्म

    क्या पंचों ने बचाए हैं चिड़ियाँ के घोंसले

    क्या ठाकुरों ने जोते हैं खेत, छींटे हैं बीज

    क्या महाजनों नें वापिस कर दी है गिरवी रखी ज़मीन

    क्या एक साथ मिलकर खेतों से भगा रहे हैं टिड्डी दल

    मैं क़लम छोड़कर उस तरफ़ की खिड़की खोलता हूँ

    जिस दिशा में मेरा भोला गाँव है

    एक तेज़ हवा के झोंके के साथ

    चली आती हैं बारिश की बूँदें भीतर तक

    और जानना चाहती हैं

    लुगाई के भेजे संदेश का जवाब

    क्या अबके गाँव आते बखत लेकर आओगे बिछुए?

    स्रोत :
    • रचनाकार : संदीप निर्भय
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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