जंगल से भी ज़्यादा घना और अँधेरा होता है अकेलापन
jangal se bhi zyada ghana aur andhera hota hai akelapan
ऋतु कुमार ऋतु
Ritu Kumar Ritu
जंगल से भी ज़्यादा घना और अँधेरा होता है अकेलापन
jangal se bhi zyada ghana aur andhera hota hai akelapan
Ritu Kumar Ritu
ऋतु कुमार ऋतु
और अधिकऋतु कुमार ऋतु
यादें बहुत सुकून देती हैं
यदि छा जाएँ वे तुम्हारे भीतर-बाहर कड़कती धूप में बादलों की तरह
फिर चाहे जितनी दूर हो जाना
अनुभव नहीं होती कोई थकावट
तुम सिर्फ़ अपने लिए ही
नहीं जीते
यदि छोड़ आए हो अपने पीछे किसी के लिए खट्ठी-मीठी यादें
रात में अकेले
चलते समय
तुम्हें छू तक नहीं जाती अकेलेपन की घुटन
तुम्हारे मस्तिष्क में
बजता रहता है यादों का संगीत
तुम्हारी आत्मा में घुलती रहती है चाँद-सितारों की रोशनी
अच्छे-अच्छों को नहीं पता कि
सत्य से भी ज़्यादा चमकदार होता है यादों का अनुभव
अच्छे-अच्छ़ों को नहीं पता कि
जंगल से भी ज़्यादा घना और अँधेरा होता है अकेलापन
ख़ासकर तब जब दब रहा होता है किसी का हृदय अकेले में
और नहीं दिखता रौशनी का एक कण भी
मेरा मन जो डूबा है अवसाद में
धीरे-धीरे हो रहा है मृत्यु का अनुभव
ऐसे में वहीं है यादों के सिवा मेरा कोई सहारा
यादें ही हैं जो रख सकती हैं मुझे अपने में समेटकर सुरक्षित!
- पुस्तक : इस नाउम्मीदी की कायनात में (पांडुलिपि)
- रचनाकार : ऋतु कुमार ऋतु
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