इतिहासों में किसी देश के
क्या है बोलो मान लेश के
नर-समूह की राम कहानी
परपीड़ा से भरी पड़ी है,
नर-समूह की राम कहानी
जंगी लोहू में डूबी है,
नर-समूह की राम कहानी
नफ़रत की है गंदी नाली,
पिशाच की है प्यारी ताली,
नर-समूह की राम कहानी
दीन-दुखी की ख़ून-खराबी,
बलवानों ने मन बहलाया
कमज़ोरों को ग़ुलाम करके,
मशहूर हुए इतिहासों में
हत्यारे सब राजा बन के,
ठौर वह नहीं दीखता कहीं
जंग जहाँ पर हों छिड़ा नहीं।
डूबा सारा भूतकाल था
रक्त झरी में कि आँसुओं में,
बुझे पड़े सारे परिवार
गिरी मरी जनता इकतार
असहायों के हाहाकार
कराहते हैं इतिहासों में।
आपसी फूट औ' ख़ुदगरजी
डाह जलन और दग़ाबाज़ी
नकली नामों से हाँ सब ने
इतिहासों का रुख बतलाया।
चंगेज ख़ान तैमूर लंग
नादिरशाह गजनी गोरी
शाह सिकंदर कोई भी हो
प्यासा था हर एक ख़ून का।
श्वेत हूण डाकू वैकिंग
सिथियन पिंडारी ईरानी
औ' थग्गों ने काल-झरी का
बाँध दिया पुल तलवारों से।
अनजानी के अंधकार में
भूख-प्यास के कारबार में
किसी शक्ति के संकेतों से
बढ़े चढ़े उन हैवानों से
स्थापित थे जो राज्य बड़े
निर्मित थे जो नियम कड़े
नई शक्तियों के उठने से
हो गए सकल हवा के महल।
आपस के ही टकराने से
जन्म हुआ था इतिहासों का,
पूर्वकाल से चलता धोखा
बलवानों की तीखी कटुता
धनवानों का काला फंदा
अब क्या? आगे भी न फलेंगे।
एक जीव को जीव दूसरा
एक जाति की जाति दूसरी
पीड़ित करने के संघ-धर्म
अब क्या? आगे भी न फलेंगे।
चीन देश के रिक्शा ड्रैवर
चैक देश के खानी नौकर
ऐरलांड के जहाज़ नौकर
दबे पड़े सारे पीड़ित नर।
हाटेनटाट जूलू नीग्रो
सारे खंडातरवासी जन
बतलाएँगे एक कंठ से
इतिहासों का मार्मिक मन।
अमुक युद्ध क्यों कर हुआ?
अमुक राज्य कितने दिन रहा?
तारीख़ें औं' दस्तावेज़ें—
इतिहास नहीं हैं ये सच्चे।
इस रानी की प्रेम-कहानी
उस धावे को खर्च हुआ धन
मतलब ये सब कैफ़ियतें भी
इतिहासों के सार ये नहीं—
इतिहासों के अंधकार में
दबी पड़ी सब कहानियाँ जो
चाहिए अभी चाहिए अभी!
छिपाव से सच छिपता न कभी
नैल नदी की नागरता में
साधारण जन जीवन कैसा?
ताजमहल के बनवाने में
पत्थर ढोते कुली कौन थे?
साम्राज्यों की चढ़ाइयों में
सादे नर का साहस कैसा?
ना वह डोली गिनती की थी
चढ़ बैठा जिस पर राजा,
उसके वाहक कुली कौन थे?
पाटलीपुत्र तक्षशिला में
मध्यधरा के उदधितीर में
हड़प्पा मोहनजोदाड़ो
क्रोमान्यान के गुफ़ा-मुखों में
इतिहासों के साँझ-सबेरे
विकास कैसा था मानव का?
कौन देश था किस अवसर पर
जिसने साधा परम अर्थ को?
कौन शिल्प था साहसी कौन?
कौन शास्त्र था गीतिका कौन?
कौन कल्पना दिग्विजय कौन?
कहो कहाँ तक गमन यह मौन?
- पुस्तक : शब्द से शताब्दी तक (पृष्ठ 23)
- संपादक : माधवराव
- रचनाकार : श्री श्री
- प्रकाशन : आंध्र प्रदेश हिंदी अकादमी
- संस्करण : 1985
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