Font by Mehr Nastaliq Web

ईंट ढोने वाला

int Dhone vala

वसिली काज़ीन

वसिली काज़ीन

ईंट ढोने वाला

वसिली काज़ीन

और अधिकवसिली काज़ीन

    संध्या को जब काम ख़तम कर अपने घर को आता हूँ

    श्रमकण से भीगे कपड़े को तन पर चिपका पाता हूँ,

    अंधकार में मेरे कपड़े, लेकिन, स्वर पा जाते हैं,

    लाल ईंट का लाल गीत वे कंठ खोलकर गाते हैं।

    गाते हैं, कैसे नीचे से ऊपर, उसके भी ऊपर

    मैं चढ़ता जाता हूँ, अपना लाल बोझ सिर पर धरकर,

    और पहुँचता चढ़ते-चढ़ते मैं सबसे ऊँची छत पर,

    जिसके ऊपर तना हुआ है नग्न, घना नीला अंबर।

    कैसे चारों ओर क्षितिज पर आँखें फिर घूमा करती,

    जहाँ हवा सिहरी कुहरे से है ठंडी आहैं भरती,

    जहाँ उषा भी दिखलाई देती है अपना भार लिए—

    लाल-लाल ईंटों का अपने मस्तक पर संसार लिए।

    संध्या को जब काम ख़तम कर अपने घर को आता हूँ

    श्रमकण से भीगे कपड़े को तन पर चिपका पाता हूँ,

    अंधकार में मेरे कपड़े, लेकिन, स्वर पा जाते हैं,

    लाल ईंट का लाल गीत वे कंठ खोलकर गाते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : चौंसठ रूसी कविताएँ (पृष्ठ 135)
    • रचनाकार : वसिली काज़ीन
    • प्रकाशन : राजपाल एंड संस
    • संस्करण : 1964
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY