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गणतंत्र-2

रोशन जनकपुरी

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और अधिकरोशन जनकपुरी

    गणतंत्र आयल,

    सभासद बनि कऽ

    संविधान सभा खुशी छल

    मंत्री बनि कऽ

    मंत्रीपरिषद खुशी भेल,

    सुविधा बढ़ा कऽ

    हाकिम खुशी भेल।

    सङ्घर्षक असंख्य मोड़ पार कयने हम,

    तहिया हमहूँ खुशी भेल रही,

    कियैक तऽ एकटा कुरुप इतिहास

    ध्वंस भेल रहय

    नव पन्ना खूलल छल।

    मुदा हमर 'मड़ैया'

    अखनो टुटले अछि,

    हमर आकाश

    अखनो अन्हारे अछि,

    हमर पेट

    अखनो भुखले अछि।

    हम!

    हम चमार छी

    हम जोलहा छी

    हम कुली छी

    हम दलित छी

    हम सऽभ छी

    जे दबायल अछि

    जे थकुचायल अछि,

    हम आम जनता छी।

    तेँ, हे गणतंत्र!

    तोँ हमर 'मड़ैया'—मे अबिहे जरुर।

    कियैक तँ

    हमर सङ्घर्ष

    तोहर यात्राक पूर्णाहुति

    हमरे घरमे हेतौ।

    तेँ हे गणतंत्र!

    हमरा घर अबिहे जरुर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : समय गीत (पृष्ठ 91)
    • रचनाकार : रोशन जनकपुरी
    • प्रकाशन : मैथिली विकास कोष, जनकपुर
    • संस्करण : 2013

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