Font by Mehr Nastaliq Web

अगस्त : तीन आवाज़ें, एक प्रतीक्षा

agast ha teen avazen, ek prtiksha

प्रमिला शंकर

अन्य

अन्य

प्रमिला शंकर

अगस्त : तीन आवाज़ें, एक प्रतीक्षा

प्रमिला शंकर

और अधिकप्रमिला शंकर

    स्त्री का अगस्त

    मैं जानती हूँ उस स्त्री को—
    जो स्वतंत्रता की घोषणा के समय
    भीड़ में नहीं,
    कुएँ के पास खड़ी थी
    कंधे पर तिरंगा नहीं,
    एक मिट्टी का घड़ा था।
    उसके भीतर पल रहा था
    एक मौन आंदोलन,
    जिसका कोई ध्वज नहीं था—
    बस अपने नाम की ज़मीन पाने का संकल्प।
    वह जानती थी
    असली आज़ादी के निशान
    उसके पैरों की धूल में दबे थे।

    श्रमिक का अगस्त

    हमने ईंट-दर-ईंट, पसीने और गारे से देश की दीवारें उठाईं।
    जब राष्ट्रीय गीत गाए गए,
    हम नहरें खोद रहे थे
    बीहड़ों में —
    जहाँ न कोई गीत पहुँचा,
    न कोई सरकार।
    हमारे हाथ रुके नहीं,
    पर वेतन पक्का नहीं हुआ।
    हर अगस्त हमें बताया जाता
    कि अब हम स्वतंत्र हैं,
    और हर बार
    हमें किसी नए शहर की ओर
    मजूरी के लिए चलना पड़ता,
    जैसे देश अब भी
    हमारा नहीं हुआ।

    आदिवासी का अगस्त

    हमारे जंगल के बीच
    एक बूढ़ा पेड़ अब भी खड़ा है—
    जिसने 1947 नहीं देखा,
    पर हर कटाव सहा।
    हमने पत्थरों को देवता नहीं,
    मित्र माना,
    नदियों को पूजा नहीं,
    जीवन माना।
    पर अगस्त आते ही
    कोई नई परियोजना
    हमारे गाँव को चीर देती है।
    हमारी भाषा
    भाषा नहीं मानी जाती,
    हमारा विरोध
    विकास विरोध कहलाता है।


    समवेत

    हम तीनों—
    स्त्री, श्रमिक, आदिवासी—
    इस अगस्त फिर खड़े हैं
    अपनी-अपनी जगहों पर,
    पीठ पर इतिहास की थकान,
    आँखों में भविष्य की लौ।

    हम चाहते हैं
    कि अगली बार जब तिरंगा लहराए
    तो उसके नीचे
    हमारे नाम भी लिखे जाएँ।

    कि अगली बार जब बारिश गिरे,
    तो वह हमें बहाकर न ले जाए—
    बल्कि हमारे भीतर कुछ उगाए।

    कि आज़ादी
    घोषणा न रह जाए,
    अनुभव बन जाए—
    हमारे जीवन का,
    हमारी भाषा का,
    हमारी देह की थकन का।

    अगस्त—
    अब एक प्रतीक्षा है,
    उस दिन की
    जब हम भी कह सकें—
    यह देश अब पूरी तरह हमारा है।
    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रमिला शंकर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY