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हम चुभने वाले लोग नए साल भी चुभेंगे

hum chubhne wale log nae sal bhi chubhenge

नेहा अपराजिता

नेहा अपराजिता

हम चुभने वाले लोग नए साल भी चुभेंगे

नेहा अपराजिता

और अधिकनेहा अपराजिता

    खुस-फुस करेंगे

    कोई चाल चलेंगे

    होंठों के चाप पर व्यंग्य धरकर हँसेंगे

    स्पष्ट वक्ता थे

    स्पष्ट वक्ता ही रहेंगे

    तुम्हारे मन में गड़ेंगे

    तुम्हारी नज़रों में चुभेंगे

    हम चुभने वाले लोग नए साल भी चुभेंगे।

    तुम सच कहना

    हम झूठ कहेंगे

    तुम दाएँ-बाएँ चलना

    हम सरपट चलेंगे

    जो तुम बहकना तो हमसे सहारा माँग लेना

    हम जो बहके तो तुम्हारे कपट में फँसेंगे

    फँस कर जो निकले फिर हर कपट पर हँसेंगे

    हम चुभने वाले लोग नए साल भी चुभेंगे।

    निम्न स्तर की सोच

    ऊँचे मुक़ाम कब गढ़ेगी

    तुम्हारे अड्डे की रणनीति

    अड्डे तक सीमित रहेगी

    सकारात्मकता की बंसी बजा तुम नकारे काम करना

    नकारात्मकता के बादल पर हम कर्मों की पंखी झलेंगे

    पर वादा है कभी कोई द्वंद रचेंगे

    अपराजित थे

    अपराजित रहेंगे

    हम चुभने वाले लोग हर साल ही चुभेंगे।

    साल बदलने से चाल कब बदलती है

    तुम भी बदलोगे

    हम भी बदलेंगे

    तुम गिरकर फिर गिरना

    हम गिर-गिरकर उठेंगे

    हम चुभने वाले लोग हर साल ही चुभेंगे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : नेहा अपराजिता
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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