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अधूरा मकान

adhura makan

हरीशचंद्र पांडे

हरीशचंद्र पांडे

अधूरा मकान

हरीशचंद्र पांडे

और अधिकहरीशचंद्र पांडे

    इसे दो कमरे का मकान बनना था

    फ़िलहाल एक कमरे के बाद काम बंद है

    जो कमरा अभी बनना है वह नक़्शे के हिसाब से बड़ा कमरा है

    जहाँ पर इस कमरे का दरवाज़ा होना था

    वहाँ अभी पपीते का एक पेड़ बड़ा हो रहा है

    जब फल लगेंगे इस पेड़ पर तो याद दिलाएँगे हमें

    इतना समय बीत गया और हम कुछ नहीं कर पाए

    भविष्य का यह कमरा अभी बिखरा है अपने चारों ओर

    रेत है एक कोने पर और इसे हवा से बचाया जाना है

    एक कोने पर सरिया है इसे पानी से बचाया जाना है

    ईंटें बिखरी हुईं इधर-उधर और कुछ बने दरवाज़े भी

    ये बरसों से जमा अपनी पहली तारीख़ें हैं

    बहने या जंग लगने से इन्हें बचाया जाना है

    जो कमरा बना है वह भी पूरी तरह बना नहीं है अभी

    दीवारों का रिसाव

    पहली बरसात में ही बना गई हैं अनींद का ताल

    प्लास्टर से ईंटों का शरीर नहीं ढका जा सका है

    हाँ इस बीच

    सरिया का एक सिरा धँस गया है बच्चे के पैर में

    इस बीच बालों का रंग कुछ धूसर हो गया है

    इस बीच कुछ ऐसा बरता जा रहा है कि धोतियाँ अनंत समय

    तक चलें

    इस बीच अन्न परमात्मा हो गया है

    और प्यार इस बीच

    खूँटी की तरह दो लाल ईंटों के बीच जगह तलाश रहा है

    अधूरा मकान यह

    आधा सच है, आधा सपना

    आधा हँसी है, आधा रोना

    यह ताज़ा कटे बकरे की छटपटाती देह है

    एक कामना है जो मरते आदमी को मरने भी नहीं देती

    बाहर अपने हरेपन के साथ सूख गईं पत्तियों का बंदनवार है

    जिसके भीतर सब कुछ शुभ है, सब कुछ निष्ट

    जैसे भीतर कोई युवा फेफड़ा धड़क रहा है

    जैसे एक पक्षी विपरीत हवा में तैर रहा है

    जैसे एक हँसी वर्तमान और भविष्य की खिड़कियों से छनकर

    दूर तक जा रही है

    मकान के अधूरेपन से एक ख़ुशबू रही है

    एक खुरदरी ऊँचाई को लाँघ गई है लौकी की एक बेल

    और छा गई है अधूरेपन के ऊपर

    हरे सपनों की झालर लिए यह मकान

    इस बस्ती का सबसे ख़ूबसूरत मकान है

    इस घर का सबसे छोटा बच्चा अपनी कॉपी में

    एक पूरा मकान बना रहा है

    इस मकान में उसने कुछ पंख लगा दिए हैं

    स्रोत :
    • रचनाकार : हरीशचंद्र पांडे
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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