हे जीवन, केवल एक पुकार है तेरा श्वसन
he jivan, keval ek pukar hai tera shvasan
श्री अरविंद
Sri Aurobindo
हे जीवन, केवल एक पुकार है तेरा श्वसन
he jivan, keval ek pukar hai tera shvasan
Sri Aurobindo
श्री अरविंद
और अधिकश्री अरविंद
हे जीवन, केवल एक पुकार है तेरा श्वसन
अमर प्रकाश के लिए, जहाँ से तेरे हर्षानंद का हुआ आगमन,
तेरा बोध-संवेदन।
व्यर्थ ही सर्व वस्तुएँ ग्रहण करते तेरे हस्त;
धरा-संगीत हो जाता विफल, हो जाते स्वर उपरत
या खो देते सुसंगत।
अंधे भाग्य के लिए ऊँचे स्वर में तू करता पुकार,
अर्गला हटा, अवरोध का कर परिहार
स्वर्णिम द्वार।
किंतु तू कभी न आया स्वजाति के लक्ष्य के सन्निकट,
उस अनिर्वचनीय रूप से न तो रोमांचित,
और न हुआ आलिंगित।
- पुस्तक : श्री अरविंद | चुनिंदा कविताएँ (पृष्ठ 173)
- रचनाकार : श्री अरविंद
- प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
- संस्करण : 2020
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