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असली डाकू

asli Daku

काका हाथरसी

काका हाथरसी

असली डाकू

काका हाथरसी

और अधिककाका हाथरसी

    ये डाकू तो सूक्ष्म हैं, क्या समझावे मोहि।

    असली डाकू आप जब, तब मानूँगा तोहि॥

    तब मानूँगा तोहि, पकड़ सत्ता की टाँगें।

    भोली जनता की छाती पर गोली दागें॥

    कह ‘काका’, हथियार डाल दें भ्रष्टाचारी।

    ‘जयप्रकाशनारायण’, तब जय होय तुम्हारी॥

    चूहेदानी भर गई, चूहे पकड़े बीस।

    पुन: दूसरे दिन वही, घूम रहे पच्चीस॥

    घूम रहे पच्चीस, प्रभु की अद्भुत माया।

    ऋषि-मुनियों ने इसका, समाधान नहीं पाया॥

    कह ‘काका’ कवि, गुरु रिटायर जब हो जाते।

    चेला जी आकर, उस गद्दी पर जम जाते॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : फुलझड़ियाँ (पृष्ठ 40)
    • संपादक : गिरिराज शरण अग्रवाल
    • रचनाकार : काका हाथरसी
    • प्रकाशन : प्रभात प्रकाशन
    • संस्करण : 1982

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