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हमें एक राजा चाहिए

hamein ek raja chahiye

अनुवाद : शंकरलाल पुरोहित

जानकी बल्लभ महांति

जानकी बल्लभ महांति

हमें एक राजा चाहिए

जानकी बल्लभ महांति

आपको हमने बिठाया सिंहासन पर

आपकी सेवा में रख दिए

महल, दास-दासी

और अर्पित किया सारा राजकोष

स्वीकार किया आपने।

आप जो करेंगे, हम चुपचाप मानेंगे

जयजयकार करेंगे आपकी

यही हमें मिला उत्तराधिकार में

हम शासित होंगे

यही हमारी भाग्यलिपि है

आप होंगे शासक

हमारे हानि-लाभ के रखवारे

इसके सिवा हम और क्या करते

आपको सिंहासन पर बिठाकर?

अब निश्चित हुए थे, हाथ जोड़ जता दिया

हमारा उद्धार करें, हमारी रक्षा करें

लंबी उमर हो सदबदल आपकी!!

फिर चारण-भाटों ने प्रशस्ति गाई

हमारे काव्य के धीरोदात्त नायक

सारे सद्गुण धन्य हुए आप में

आप ही कवि, कलाकार, वैज्ञानिक

क्रीड़ा प्रेमी, विश्व प्रेमी, जयप्रिय

वंदनीय हमारे भास्वर!!

आप उल्लसित होकर देते हैं

कालजयी भाषण, सरल

हमें संतुष्ट करते,

आपकी कोमलवाणी में

विगलित होते हम,

इतने वायदों और आश्वासनों में

ताली बजाकर वाह-वाह करते रहे

आपके अतुल प्रताप में

म्लान पड़ गए सारे साधक

ज्ञानी, गुण, सज्जन मंडली

किंतु हाय, अचानक अघटन हो गया

आपके पंख खुल गए प्रचंड उत्ताप में

हम शोक में डूब गए

बेसहारा हो गए, अतः फिर से खोजते फिरते

ऐसा कोई करेगा शासन हम पर

चूँकि हमें एक राजा चाहिए

निहायत ही चाहिए।

स्रोत :
  • पुस्तक : बीसवीं सदी की ओड़िया कविता-यात्रा (पृष्ठ 91)
  • संपादक : शंकरलाल पुरोहित
  • रचनाकार : जानकी वल्लभ महांति
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
  • संस्करण : 2009

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