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हमारे समय में

hamare samay mein

लवली गोस्वामी

लवली गोस्वामी

हमारे समय में

लवली गोस्वामी

और अधिकलवली गोस्वामी

    हहराती अनियंत्रित जंगल की आग कहती है

    कि वह दीए की प्रतिनिधि है

    गाँव उजाड़ती बाढ़ ने मासूमियत से कह दिया

    उसे सूखे खेतों पर तरस गया था

    नालियाँ इठलाती हुई बहती हैं

    ख़ुद को गंगा-जमुना की सहोदर बताती हैं

    कुछ मगरमच्छ रो पड़े

    लोगों ने समुद्र के पानी पर लाँछन लगा दिया

    कुछ बिल्लियों के भाग से छींका टूटा

    तो अधिकतर मेहनत छोड़कर भाग्य बँचवाने निकल पड़े

    हमारे समय में

    श्रेष्ठ कलाओं की तरह श्रेष्ठ स्त्रियाँ इसलिए प्रचलन से बाहर हैं

    क्योंकि उन्हें समय देकर आत्मसात करना पड़ता है

    हमारे समय में

    कुछ शब्द हैं, जो हड़बड़ी में अर्थ छोड़कर वाक्य में चले आए हैं

    कुछ परिभाषाएँ हैं जो अपने शब्द छोड़कर दौड़ पड़ी हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : लवली गोस्वामी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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