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घुटन भरे दिन

ghutan bhare din

भगवतीलाल व्यास

भगवतीलाल व्यास

घुटन भरे दिन

भगवतीलाल व्यास

और अधिकभगवतीलाल व्यास

    घुटन भरे दिन / पसरे हैं नदी के

    इस किनारे से उस किनारे तक

    लहरों पर सवार सपने / आत्मघात करते हैं

    हर पल, हर क्षण / मछलियाँ पूछती हैं

    कहाँ तक तैर सकती हैं हम?

    मगरमच्छ निश्चिंत नींद निकालते हैं।

    उनके चौकीदार बताते हैं पट्टा नदी का

    मछलियों और जल-पक्षियों को

    घुटन भरे दिन पसरे हैं

    नदी के आस-पास / चारों दिशाओं में।

    घाट-घाट बैठे हैं पंडे

    श्राद्ध का सरंजाम लेकर

    प्यासी आत्माओं की मुक्ति के लिए

    नदी का अथाह जल व्यर्थ हो रहा है

    सूरज की पहली किरण से

    अंतिम किरण तक

    और देखते-देखते सुनहरे केशों वाली

    नदी की धार अदृश्य हो जाती है।

    एक अँधेरी खोह में।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक भारतीय कविता संचयन राजस्थानी (1950-2010) (पृष्ठ 64)
    • संपादक : नंद भारद्वाज
    • रचनाकार : भगवतीलाल व्यास
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2012
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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