Font by Mehr Nastaliq Web

भारतमाता की नवरत्नमाला

bharatmata ki nawratnmala

सुब्रह्मण्य भारती

सुब्रह्मण्य भारती

भारतमाता की नवरत्नमाला

सुब्रह्मण्य भारती

और अधिकसुब्रह्मण्य भारती

    मंगलाचरण

    तीस कोटि वीरों की जननी, भारत माँ के कमल चरणों में,

    मैं यह नव रत्नों की माला सादर अर्पित करता हूँ।

    शिव के रत्नपुत्र! मेरी भव बाधाओं को दूर करे।

    1

    आँखों की पुतली हे भारत! तेरे नामोच्चारण से,

    उत्तम नग-सा काँतियुक्त तन, धर्मनिष्ठ मति, चिंतन शक्ति,

    और अनेकानेक लाभ हम प्राप्त करेंगे बिना प्रयास।

    2

    नील सिंधुरूपा त्रिनेत्र, जो सेतु बनाती समयसिंधु पर,

    उसका पादस्पर्श करें तो हमसे यम कँपाएगा थर-थर।

    भयाक्रांत यम को काया, पर जोड़ेगी, भग जाएगी,

    कहाँ शत्रुता में क्षमता, जो हमसे आँख लड़ाएगी?

    3

    मोती से विशुद्ध मणि वचनों को कहकर सबके पास

    तुमने रचे पुराण, उपनिषद, वेद और अनगिन इतिहास

    कितने ज्ञानयुक्त शास्त्रों का सृजन किया री! महासमर्थ

    हम जिनकी स्तुति और प्रशंसा करने में भी हैं असमर्थ

    देखो माँ, सब ज्योतिपुंज बन यत्र-तत्र जगमगा रहे हैं

    ये वास्तविक विजय विभुवर के, काल से परे, अमर देन हैं।

    4

    धवल शंख फूँकों सब जय-जयकार करो

    सदा ज्ञानियों से यह वसुंधरा रक्षित है,

    सुनो, मानते रहे आज तक वीर अधर्मी

    बुद्धि वास्तविक कार्य बुद्धिमानों के जग में,

    शीर्ष मुकुट में धारण करना अनाचार को—

    और बनाकर रखना दास मनुष्य मात्र को।

    नीच शासकों ने कलंकिनी सैन्य शक्ति से—

    ओछे न्यायविधान घर पर रच डाले थे।

    किंतु आज भारत ने दुनियाँ के समक्ष यह

    नया धर्म प्रस्तुत कर हमें चेतना दी है।

    कान खोलकर सुनो, ध्यान दो उन वचनों पर—

    मधुर प्रवालों-सी कविता के सर्जनकर्ता

    विश्व कवींद्र रवींद्र ने कहा था जिन्हें,

    गाँधी अवतरित हुए हैं आदर्श पुरुष के रूप में।

    पावन भारत धरती पर धर्मावतार के रूप में।

    राजनीति के धर्म में पथनिर्देशक मान,

    वेदवाक्य इनका सुन, 'केवल सत्य महान'

    राजनीति के परे भी जितने जग के काम—

    सदा विजय पाता है, उनमें सत्य ललाम!

    वेदनाद जो अधर से बापू के झरते रहे।

    पालन उनका अंत तक अक्षरश: करते रहे।

    हम देखेंगे शीघ्र ही, रक्षा संभव विश्व की—

    सदा ज्ञानियों से हुई, आगे होती रहेगी।

    रक्षक केवल धर्म है, सैन्य शक्ति असमर्थ,

    चूर-चूर हो जाएगी, हो जाएगी व्यर्थ।

    धवल शंख फूँको सब जय-जय नाद करो।

    सदा ज्ञानियों से यह वसुंधरा रक्षित है।

    5

    जयध्वनि बोलो मनोवांछा नभ में गूँज उठे।

    धर्म, बृहद् नादों से हवा निनादित लहर उठे॥

    कांतियुक्त मणिक्य अहिंसा और सत्य के।

    धर्म रूप में हमने अपनाए हैं बढ़के॥

    हमें अब पीड़ा सहनी है, यह निश्चित है।

    हमें प्राप्त होगी स्वतंत्रता, यह निश्चित है॥

    6

    सुदृढ़ जान लो अपने मन में, मन की बात हमारी।

    शपथ कृष्ण के पादकमल की मरकत छायाधारी॥

    दूषित नहीं, अगर जन-जन का मन पवित्र है।

    स्वतंत्रता उपलब्ध हमें होगी निश्चित है॥

    7

    हम स्वतंत्रता प्राप्त करेंगे, जय पाएँगे

    अहिंसात्मक क्रांति बढ़ाता रहा बोलकर,

    पतन और शैथिल्य नहीं सेवक को जैसे—

    उष्ण-शीत का भान नहीं होता आत्मा को।

    धर्मयुद्ध के लिए कटिबद्ध रहो तुम

    कहता रहता सबसे यही प्रतिज्ञा साधी

    करता रहता है जयनाद सभी के आगे—

    गौमेतक सा महत् हमारा नेता गाँधी।

    8

    फेरे कृपा कटाक्ष खड़ी, स्वर्णिम भारत पर,

    करती सदा निवास कांतियुत जो देवीश्री—

    पदमराग मणि सदृश सुगंधित पुष्पराशि में।

    भूल ही गए नर, शैथिल्य और निज भय को—

    क्योंकि सभी ने गाँधी का जयघोष सुना है।

    9

    ज्वालामय वैदूर्य सदृश आँखों से शोभित—

    सिंह पर सदा विचरण करनेवाली माता।

    क्षण-भर के ही लिए हमारे सम्मुख आओ।

    कृपाकांक्षी देशों की कर दूर यातना दिव्यस्वरूपा,

    मुस्क्याकर आनंद सिंधु में हमें डुबाओ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : राष्ट्रीय कविताएँ एवं पांचाली शपथम् (पृष्ठ 53)
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक एन. सुंदरम् और विश्वनाथ सिंह 'विश्वासी'
    • प्रकाशन : ग्रंथ सदन प्रकाशन
    • संस्करण : 2007
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए