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जलते हुए घर से

jalte hue ghar se

अष्टभुजा शुक्‍ल

अष्टभुजा शुक्‍ल

जलते हुए घर से

अष्टभुजा शुक्‍ल

और अधिकअष्टभुजा शुक्‍ल

    चारो कोनों में

    आग लगी है

    भहर-भहर जल रहा है घर

    जलते हुए घर से

    चमड़े की चिहिन रही है

    साइकिल के टायर जलने की भभक

    जलते हुए कपड़े की गंध

    जलते हुए गुड़ की जट्ठाहिन

    जलती हुई दाल की महक

    जलते हुए मिर्चे की कड़ुआहट

    कुछ रसगर और हरी चीज़ें

    सुलग रही हैं

    धुँअठ रही हैं

    और बुजबुजा रही हैं

    इस जलते हुए घर से

    हर हाल में बचाना है

    माचिस,

    बोने भर को बीया

    और एक फ़ोटो

    समुद्र भर पानी उलीचकर

    हवा भर दबकर

    धूल भर उड़कर

    गेंद भर उछलकर

    और चिता भर जलकर

    जलते हुए घर से

    बचाना है एक पूरा घर।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अष्टभुजा शुक्ल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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