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वह बच्ची जिसकी उम्र

दस-बारह वर्ष के क़रीब है और जिसने

अपनी दो कोमल उँगलियों के बीच

फँसा रखे हैं पत्थर के दो चिकने टुकड़े

इस भीड़ भरी बस में

निकालने की करती है कोशिश

अपने गले से अनुराधा पौडवाल की आवाज़

पत्थर के इन दो चिकने टुकड़ों से

निकालती है वह

ढेर सारी फ़िल्मी धुनें

भगवान के भजन और सफ़र के गीत

इस भीड़ भरी बस में भी लोग सुनते हैं

उसके छोटे गले से

अनुराधा पौडवाल की छोटी आवाज़

और देखते हैं

बहुत ही तेज़ गति से चलने वाली

उसकी दो उँगलियों के बीच

पत्थरों का आपस में टकराना

उस बच्ची को नहीं है मालूम

पत्थर के इन्हीं दो टुकड़ों से

जिनसे वह निकालती है फ़िल्मों की धुनें और

जीवित रहने की थोड़ी-सी गुंजाइश

उन्हीं पत्थरों को टकराने से निकलती है

चिंगारी

उस बच्ची को नहीं है मालूम

जब इस सृष्टि की हुई शुरुआत तब

लोगों ने बसने से पहले सबसे पहले

ईजाद की थी आग

इन्हीं दो पत्थरों को टकराकर।

स्रोत :
  • रचनाकार : उमाशंकर चौधरी
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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