Font by Mehr Nastaliq Web

हम निगरानी में हैं

hum nigrani mein hain

नवल शुक्ल

नवल शुक्ल

हम निगरानी में हैं

नवल शुक्ल

जब ढाई मिनट एक बड़ा समय था

तब ढाई महीने तक मसख़री थी और चुप्पी

अब हर ढाई घंटे पर मृत्यु का लेखा-जोखा है।

ढाई महीने में कितने मास्क बनाए जा सकते हैं

जाँच के उपकरण जुटाए जा सकते हैं

सफ़ाईकर्मी, डॉक्टर, नर्स, पुलिस और प्रशासन के लिए

ज़रूरी या कामचलाऊ तैयारियाँ की जा सकती हैं

मृत्यु के आँकड़ों में बदलते आदमी को

आदमी की मौत मरने की सूची में रखा जा सकता है।

यह सवाल किससे किया जा सकता है

कि इसके लिए कुछ नहीं चाहिए था आँख और जज़्बे के सिवा

ढोंग को त्यागने और संवेदनशीलता के अलावा

और कुछ नहीं चाहिए था

बस हमें नागरिक मानना चाहिए था।

हम निरक्षर भी थे तो हमारा सहज ज्ञान अपार था

सीधी, सहज और सच्ची बातों को सुनने

वैसा व्यवहार करने

और मनुष्य मति में रहने की

हमारी लंबी परंपरा थी

वह आज भी अक्षुण्ण है।

हम अपने ही देश में रहे और ख़तरे से अनजान रहे

हम अपने ही देश के वीराने में

जहाँ-तहाँ पाए जा रहे हैं

अपनी पोटली सँभाले

अपना ठौर खोजते हुए।

हम भरोसेमंद नहीं रहे या कि नागरिक नहीं रहे

यह किसे पता होगा, इस पर बात होगी

पर हम निरापद नहीं हैं

हम निगरानी में हैं, यह सबको पता है।

क्या हमारा भविष्य निगरानीशुदा भविष्य होगा

क्या हमारा समय बदल रहा है

जिसमें से सरकती जा रही हैं हमारी बनाई जगहें

क्या हम अपनी ही जगहों पर हैं हतप्रभ

क्या सभी दीवालें टूट गईं कि टूटने को हैं

क्या हम जीने के लिए फिर से परिभाषित होंगे

स्वीकार, अस्वीकार या दरकिनार की तरह।

सब कुछ खुला हुआ है,

दिखाई देता हुआ पारदर्शी

जो सिर्फ़ भूख नहीं, लाचारी और बेबसी से भी कुछ अधिक है

नागरिकता, स्वतंत्रता और परस्पर का आख़िरी समय बीत रहा है

कुछ है सर्वाधिक दख़ल और अधिकार-सा कुछ है

कुछ संप्रभु-सा

कुछ नियामक-सा कुछ है

हमें खाद-पानी की तरह देखता हुआ।

स्रोत :
  • रचनाकार : नवल शुक्ल
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY