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मछली-बाज़ार में

machhli bazar mein

अनुवाद : इबोहल सिंह काड़्जम

युमनाम मंगीचंद्र

युमनाम मंगीचंद्र

मछली-बाज़ार में

युमनाम मंगीचंद्र

भाभी जी—यह मछली कितने की है?

वह गरई,

अंगुल-सी लंबी है।

उत्तर देती है—मछली बेचने वाली,

अरे लाला—सिर्फ़ सवा रुपए की है।

अरे—सिर पकड़कर बैठा।

मेरी एक दिन की मज़दूरी

सिर्फ़ साढ़े चार!

परिवार के सदस्य हैं सात,

एक किलो चावल में

ढाई रुपए!

देखो।

हिसाब देखो।

मेरे ही सामने—

वह बोआरी ले गई

पैंतालीस रुपए में।

इंजीनियर की पत्नी है?

या ठेकेदार की पत्नी है?

या किस अफ़सर की पत्नी है?

लगता है, ऊपरी आमदनी वाले घर की है।

निकालती थी उस छोटे पर्स से

सौ के नोटों की एक गड्डी।

ग़ौर से देखता रहा

साढ़े चार पाने वाला मैं तो।

निरुपाय होकर—उस मछली बेचने वाली से

ग़ुस्सा दिखाकर लौट आया।

ख़रीदने का दम है मुझमें भी।

मछली बेचने वाली टुकुर-टुकुर देखती रही।

घर में—बच्चों की माँ ने पूछा—

मछली ख़रीद लाए हो?

ङारी की पुड़िया थमा दी,

मुस्कराई वह।

इधर—शौग्री का रसा

राशन के चावल के साथ।

उधर—बढ़िया और मुलायम चावल के साथ

एकदम गाढ़ा

वोआरी के ङारेन।

ङारी : शोधित की हुई सूखी मछली।

शौग्री : पटसन के प्रकार का एक पौधा, जिसका पत्ता खट्टा होता है और इसकी तरकारी बनती है।

ङारेन : मछली की बनी हुई वह तरकारी जो अधिक ठंड के कारण जम गई हो।

स्रोत :
  • पुस्तक : आधुनिक मणिपुरी कविताएँ (पृष्ठ 115)
  • संपादक : देवराज
  • रचनाकार : युमनाम मंगीचंद्र
  • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
  • संस्करण : 1989
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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