चिड़िया की आँख से

chiDiya ki ankh se

नीलेश रघुवंशी

नीलेश रघुवंशी

चिड़िया की आँख से

नीलेश रघुवंशी

और अधिकनीलेश रघुवंशी

    मैंने अपनी सारी जड़ें

    धरती के भीतर से खींच ली और

    चिड़िया की तरह उड़ने लगी

    मैं इस दुनिया को

    चिड़िया की आँख से देखना चाहती हूँ।

    कल रात चमकीली सुबह में

    एक आतंकवादी मेरे सपने में आया

    थोड़ा-सा

    गोला-बारूद बचा हुआ था उसके पास

    जिसे उसने एक कोने में रख दिया

    अख़बार और टी.वी. पर बम विस्फोट की

    हृदयविदारक तस्वीरें थीं

    इसके बाद भी

    उसके चेहरे पर ऐसा कोई भाव नहीं था

    जो दहशत को जन्म देता

    कॉफी का एक लंबा-सा घूँट भरते बोला

    अम्मी इस्लामाबाद में मेरा इंतज़ार कर रही होंगी

    डरता हूँ

    कहीं यह अख़बार जिसमें मेरी फ़ोटो छपी है

    ए.के. 47 के संग

    मेरी अम्मी के हाथ लग जाए।

    सपने में

    आतंकवादी और उसकी माँ इस्लामाबाद में मिले

    दिल्ली कलकत्ता मुबंई मद्रास या

    किसी और शहर में क्यों नहीं।

    देखना चाहती हूँ

    धरती पर छायी भितरघात चिड़िया की आँख से।

    बर्फ़ीली तीखी हवा चारों ओर सरसराहट

    धरती की हर एक चीज़

    क़ानून और व्यवस्था की प्रतीक इमारतें

    अपनी जगह से सरकने लगीं

    क़ब्रिस्तान की क़ब्रें अपनी जगह से उठकर

    घेरने लगीं इमारतों को न्याय की गुहार में

    श्मशान घाट की राख ने

    आकाश को एक धूल भरे जुलूस में बदल दिया

    आकाश में बस जाना चाहती थी धरती

    चाँद तारे आकाश और पक्षी राजी हुए

    समूची धरती हवा में

    कटी पतंग की तरह बल खाने लगी

    ताबड़-तोड़ पानी

    भारी-भरकम बूटों की आवाज़

    पुलिस ने आतंकवादी को नहीं

    मुझे भी नहीं

    मेरे सपने को गिरफ़्तार कर लिया।

    मैं इस दुनिया को

    चिड़िया की आँख से देखना चाहती हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : नीलेश रघुवंशी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए