हुज़ूर का तूफ़ानी दौरा हम पर किसी दौरे की तरह गुज़रा
huzur ka tufaani daura ham par kisi daure ki tarah guzra
अर्पण कुमार
arpan kumaar
हुज़ूर का तूफ़ानी दौरा हम पर किसी दौरे की तरह गुज़रा
huzur ka tufaani daura ham par kisi daure ki tarah guzra
arpan kumaar
अर्पण कुमार
और अधिकअर्पण कुमार
बड़ी-बड़ी आँखों से
छलछलाते उस वनिता के आँसू
बड़े-बड़े लोगों के
छोटेपन को बताते चले गए,
शातिर मंसूबों के संग
शहंशाह शहर में आए थे
हमारे हर तर्क को
कुतर्क से कुचलते चले गए
हर सू बदलावों का सैलाब
उठाना था उन्हें
हर सू इंसानों को
चीज़ों से बदलते चले गए,
हम बिछे नहीं जी-हुज़ूरी में
जिसकी सज़ा मिली
वे हमारी गर्दनों पर
पाँव रखते चले गए
उनके तूफ़ानी दौरे की ख़बरों से
शहर के अख़बार अटे पड़े हैं
इस दौरे में हम जो लुटे-पिटे
ख़बरों की कतरनें
हुज़ूर के वज़ीर को भेज रहे हैं।
- रचनाकार : अर्पण कुमार
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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