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हम गवाही देते हैं

hum gawahi dete hain

संजय चतुर्वेदी

संजय चतुर्वेदी

हम गवाही देते हैं

संजय चतुर्वेदी

और अधिकसंजय चतुर्वेदी

    मई उन्नीस सौ छियानवे में

    मतपेटियों से जिन्न निकला

    जिसने हुक्म आने से पहले ही

    एक-एक के कपड़े उतारने शुरू कर दिए

    लफंगों से नहीं हम ऋषियों के नाम से शुरू करते हैं

    सी.पी.एम. के सर्वोच्च नेता ने

    सारे देश के सामने दूरदर्शन को बताया

    कि उनकी साठ से ज़्यादा कांग्रेसियों से

    गुप्त बातचीत चल रही है

    समय आने पर इसका पता चल जाएगा

    जो भी भारतीय जनता पार्टी के ख़िलाफ़ हो

    उसे धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील माना जाता था

    और सामाजिक न्याय के नाम पर

    चालू कम्युनिस्ट

    ज़बरदस्त जातियों और मौक़ापरस्त लोगों के

    बिचौलिए बनकर रह गए थे

    वैचारिक समय इतना पेचीदा

    और प्रगतिशील होना इतना आसान

    शायद इससे पहले कभी नहीं था

    कम्युनिस्टों वाले मंत्रिमंडल में

    वित्तमंत्री क्लिंटन वाला था

    और यह बताया जा रहा था

    कि सांप्रदायिकता से लड़ने के लिए

    आर्थिक नीतियाँ अमेरिका की ही उचित हैं

    और यह भी बताया जा रहा था

    कि संसदीय राजनीति एक बड़ी करवट ले रही है

    और बिना अमेरिका की मदद के

    मार्क्सवाद को प्रासंगिक रख पाना मुश्किल होगा

    बिजनेस स्कूलों से निकल अपवर्डली मोबाइल लड़के

    कम्युनिस्टों के अस्तबल में घुस चुके थे

    बूढ़े तो पहले से ही तैयार थे

    सो शानदार वरयात्रा शुरू हुई

    यह कोई लॉन्ग मार्च नहीं था, कोई जनादेश

    दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष ने बताया कि यह सरकार चलेगी

    क्योंकि हमारा बिना शर्त समर्थन का वादा है

    लेकिन उनके पार्टी अध्यक्ष ने बंगलूर में बताया

    कि सरकार जल्दी ही गिर जाएगी

    क्योंकि वर्तमान प्रधानमंत्री सांसद नहीं है

    और चुनाव लड़ते ही हम उसे हरा देंगे

    सत्तारूढ़ दल का अध्यक्ष

    जो अपने को लोहिया का शिष्य बताता था

    हर एक से भद्दी ज़ुबान में बात करता था

    और इस फूहड़पन को

    ऊँचे स्तर का फ़िनोमिनन बताया जा रहा था

    एक सफल राजनैतिक दलाल ने

    जो अपने को धाकड़ सांसद और रिकॉर्डतोड़ मसीहा मानता था

    हमें बताया कि फूलनदेवी अपराधी नहीं है

    जैसे कि बेहमई में जो लोग मारे गए

    वे सभी पुरुष प्रधान समाज के घृणित प्रतिनिधि थे

    और गाँवों में

    अचानक मर्दों को इकट्ठा करके गोली मार देना

    एक क्रांतिकारी काम होगा

    और सामाजिक न्याय का कोई बड़ा अनुयायी

    अगर गृहमंत्री बन गया

    तो यह काम सरकारी स्तर पर चलाया जाएगा

    और एक दिन हमें अचानक पता चला

    कि बिहार में अपनी पत्नी को छोड़कर

    दिल्ली मैं दूसरी शादी करके

    सारे देश के सामने मौज-मस्ती मारते एक दढ़ियल को

    किसी पिस्तौल सुंदरी ने गोली मार दी

    सामाजिक न्याय के नाम पर

    हम सभी मूल्यों को नष्ट करने की राह पर चल पड़े थे

    और मानवसुलभ सुंदरता और संस्कृति की बात करने को

    बिना बहस के सवर्ण मानसिकता मान लिया जाता था

    रक्षामंत्री गृहमंत्री को अफ़सोसनाक

    और गृहमंत्री रक्षामंत्री को शर्मनाक बताता था

    और अगर कोई कहता कि यह देश के लिए ठीक नहीं है

    तो कहा जाता था कि यह तो ठीक है

    लेकिन इस पर ज़्यादा सोचना

    सांप्रदायिक संतुलन के लिए ठीक नही है

    धर्मनिरपेक्षता के लिए प्रधानमंत्री ने झूठ बोला

    तो गृहमंत्री ने माफ़ी माँगी

    और गृहमंत्री ने सच बोला

    तो प्रधानमंत्री ने माफ़ी माँगी

    एक दिन रक्षामंत्री ने झूठ बोला

    लेकिन प्रधानमंत्री ने माफ़ी माँगने से इनकार कर दिया

    अगले दिन पता चला

    कि सत्तारूढ़ दल के अध्यक्ष ने

    दस साल के लिए

    प्रधानमंत्री को पार्टी से निकाल बाहर किया

    सरकार में तेरह घटक थे

    मंत्रिमंडल में पच्चीस

    केंद्र में चार घटक खिसकाने से

    राज्य में बारह घटक मज़बूत होते थे

    और राज्यों के घटकों को जोड़ने पर

    केंद्र में पाँच नए घटक पैदा होने की संभावना थी

    विचारों में जो घटक थे

    उन्हें सिद्धांतों में रखते थे

    तो लटक पैदा होती थी

    और आचारों को मिलाते थे

    तो अचार बनता था

    लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा को सभी प्रतिबद्ध थे

    लेकिन लोकतांत्रिक तरीक़ों से अगर बी.जे.पी. सत्ता में आई

    तो सभी फ़ौजी हुकूमत की वकालत करेंगे

    ऐसा भी एक प्रस्ताव था

    हम घटिया रास्तों से अच्छा उद्देश्य चाहते थे

    केंद्रीय समिति मुझे क्षमा करे

    और अगर यह काम संसदीय परंपराओं के विरुद्ध हो

    तो कुछ रोज़ मैं ऋत्विक घटक के बारे में सोचना चाहूँगा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : संजय चतुर्वेदी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

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    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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