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एक फ़ोटो स्टूडियो की याद

ek photo stuDiyo ki yaad

विनय सौरभ

विनय सौरभ

एक फ़ोटो स्टूडियो की याद

विनय सौरभ

और अधिकविनय सौरभ

    अब किसी भी शहर में जाओ

    बहुत उदास मिलते हैं फ़ोटो स्टूडियो

    जो कभी खिलखिलाती तस्वीरों

    और रूमानी हलचलों से भरे होते थे

    हम सबके पास

    उनको लेकर कोई कोई याद है

    नोनीहाट के खोगेन विष्णु ने उन्हें कभी

    फ़ोटू खींचने की दुकानें कहा था

    जब वे पहली बार किसी शहर से

    फ़ोटो स्टूडियो देखकर लौटे थे

    और कैसा कौतुक भरा चित्रण किया था!

    वह फ़ोटो खींचने की दुकानें ही तो होती थीं सचमुच!

    वहाँ कितनी हसरतों से लोगों को भीतर जाते देखा है

    वेशभूषा ठीक करते, चेहरा चमकाते हुए

    फ़ोन का रिसीवर हाथ में लिए बेल बॉटम पहने कॉलेज़िया लड़के

    पीछे ताज़महल के पुराने पड़ चुके पोस्टर रंग छोड़ते हुए

    पहाड़ और फूलों की वादियों के आगे बैठे

    नवविवाहित जोड़ों के ये स्वप्नगाह थे!

    एक बड़े वक़्फ़े के बाद एक ऐसी ही जगह पर खड़ा हूँ

    जहाँ पहले भी कई बार आने की याद ने लगभग परेशान कर रखा है

    कहन की शैली में जिसे मशहूर-ओ-मा'रूफ़ कह सकते हो

    ओह! वे वासु दा ही थे!

    लोग उन्हें स्टूडियो मैंने मैनेजर कहते थे

    लगभग सत्तर की उम्र में वे वहाँ क्या कर रहे थे?

    आश्चर्य था कि वे अब भी यहाँ थे!

    इस स्टूडियो में बस अकेले बचे कर्मचारी थे वे!

    उनकी आँखों में देर तक देखने से

    एक दुनिया की तकलीफ़देह अंत का सफ़रनामा मिलता था

    हथेलियों और कुहनियों की छुवन भर से घिस आए

    उस काउंटर के पीछे

    शीशम की बड़ी-सी पुरानी कुर्सी पर बैठे

    उस नूरानी चेहरे को

    जो इस स्टूडियो का मालिक था,

    मैं पहचान सकता था

    अस्सी-नब्बे के दशक में वह युवा थे

    सलीकेदार और आकर्षक!

    ख़ास मौक़ों पर ही फ़ोटोग्राफी के लिए उपस्थित होते थे

    शहर के रईस तक चाहते थे कि

    उनकी कोई यादगार तस्वीर में वे उतार दें

    उनकी अलहदा शख़्सियत की वजह से

    उन्हें एक फ़ोटोग्राफर से कहीं ज़्यादा इज़्ज़त बख़्शी इस शहर ने

    इवेंट और डिजिटल फ़ोटोग्राफ़ी के दौर में

    एक पुराने और संजीदा फ़ोटोग्राफर का अकेलापन

    और उदासी तुम दूर से पहचान सकते हो

    स्टूडियो में लगे शीशे के सेल्फ़ में

    तस्वीरें अपनी चमक खो चुकी हैं

    वे पुरानी पड़ गई हैं

    कुछ के फ्रे़म औंधे पड़े हैं

    उन पर जैसे महीनों की धूल बैठी है

    उन्हें तरतीब से रखा जा सकता है,

    यह बात उनके जे़हन में क्या नहीं आती होगी?

    दीवारों पर रंग-रोगन हुए ज़माना बीता है

    और धूसर हो चुके उस सोफे़ को मैं पहचान ही सकता हूँ

    गोकि उस पर बैठने की याद बाक़ी है!

    यह पता चल जाना कोई मुश्किल काम नहीं है

    कि उनकी संतानें किसी और धंधे में क्यों लग गई होंगी!

    और इस पुश्तैनी धंधे को कितनी तकलीफ़ से अलविदा कहा होगा!

    वह तस्वीर जिसमें दिखते थे

    अभिनेता सुनील दत्त स्टूडियो के मालिक के साथ

    यहाँ आने वाला हर ग्राहक बहुत कौतूहल के साथ देखता था

    उस फ़्रेम को

    जो वक़्त की गर्द में अब अपनी रंगत खो चुका था

    उसमें सुनील दत्त थोड़े अधेड़ हो गए दिखते हैं

    यह फ़ोटू आकाशवाणी भागलपुर के किसी कार्यक्रम की है

    जिसमें यह फ़ोटूग्राफर उनके साथ खड़ा है

    लेकिन आज की तारीख़ में

    अब कोई सुनील दत्त को याद नहीं करता

    क्योंकि आप जानते हैं

    अब कोई स्टूडियो नहीं जाता

    और ऐसी तस्वीरों के लिए वह रोएँ खड़ा कर देने वाला रोमांच

    और दिलचस्पी अब बीते दिनों की बात हो चुकी है

    अपने समय के नामचीन अभिनेता

    अब या तो मर गए हैं या गुमनामी के अँधेरे में चले गए हैं

    और उनके लिए वह जादू भी

    देश के साधारण नागरिकों में ख़त्म हो चुका है

    लेकिन हममें से हर कोई जीवन में

    एक बार ज़रूर गया है फ़ोटो स्टूडियो

    और आज मेरी गुज़ारिश है दोस्तों कि

    अगर आप पुरानी ब्लैक एंड वाइट तस्वीरों से

    प्यार करते हो तो उन्हें भी एक बार याद करो

    बाप-दादाओं और पूर्वजों की दुर्लभ फ़ोटूओं के लिए

    हम उनके क़र्ज़दार हैं

    लेकिन वह अब आपके शहर में शायद ही बचे हों

    या अंतिम साँसें गिन रहे हों

    उन फ़ोटो स्टूडियो के साइन बोर्ड तुम्हारे जे़हन में होंगे

    जिस पर परवीन बॉबी या अभिता बच्चन काले गॉगल्स

    और गोल टोपी में नमूदार होते थे

    उन लाखों कैमरों को याद करो जो

    वक़्त की तेज़ रफ़्तार में किसी कबाड़ में बदल गए हैं

    उन्हें उनके मालिकों ने कहाँ रखा होगा

    डार्क रूम में जहाँ कभी निगेटिव्स धुलते थे

    नीम रौशनी में क्या वे कैमरे भी

    उन्हीं अँधेरों में कहीं खो गए हैं?

    स्रोत :
    • रचनाकार : विनय सौरभ
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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