एक नई दुनिया के निर्माण की तैयारी
ek nai duniya ke nirman ki taiyari
महेश चंद्र पुनेठा
Mahesh Chandra Punetha
एक नई दुनिया के निर्माण की तैयारी
ek nai duniya ke nirman ki taiyari
Mahesh Chandra Punetha
महेश चंद्र पुनेठा
और अधिकमहेश चंद्र पुनेठा
मेरा तेरह वर्षीय बेटा
गूँथ रहा है आटा
पहली-पहली बार
पानी उड़ेल समेट रहा है आटे को
पर नन्हीं हथेलियों में
नहीं अटा पा रहा है आटा
कोशिश में है कि समेट लूँ एक बार में सारा
गीला हो आया है आटा
चिपका जा रहा है उँगलियों के बीच भी
वह छुड़ा रहा है उसे
फिर से एक लगाने की कोशिश
अब पराद में चिपके आटे को छुड़ा रहा है
फिर पानी आवश्यकतानुसार
अब भींच ली हैं मुट्ठियाँ उसने
नन्हीं-नन्हीं मुट्ठियों के नीचे तैयार हो रहा है आटा
इस तरह उसका
समेटना
अलगाना
भींचना
बहुत मनमोहक लग रहा है
मेरे भीतर पकने लगा है एक सपना
जैसे रोटी नहीं
एक नई दुनिया के निर्माण की तैयारी कर रहा हो वह।
- रचनाकार : महेश चंद्र पुनेठा
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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