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एक महिला संविदाकर्मी की आप बीती

ek mahila sanvidakarmi ki aap biti

अखिलेश जायसवाल

अखिलेश जायसवाल

एक महिला संविदाकर्मी की आप बीती

अखिलेश जायसवाल

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    संविदा की अघोषित शर्तें

    उसे नहीं बताई गईं थीं,

    नियोक्ता की रुचि घोषित से ज़्यादा

    अघोषित शर्तों में थी।

    बाद में उसे पता चला कि

    आवेदन पत्र में भरी गई

    हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा के अतिरिक्त

    यहाँ एक तीसरी भाषा भी थी—

    वह थी शरीर की भाषा,

    जिसके व्याकरण का पाणिनी बना बैठा था

    बड़े सलीक़े से बोलने वाला नियोक्ता।

    बक़ौल अघोषित शर्तें

    संविदा के शिफ़ॉन से झाँकती

    एक कमसिन त्वचा

    एक अनचाहे स्पर्श के विरुद्ध

    ना नहीं कह सकती।

    संविदा के पश्मीने में लिपटी गरमाहट

    घूरकर थक चुकी आँखों को

    बफारा देने से मना नहीं कर सकती।

    संविदा की माँसलता में पलती शुचिता

    किसी हठात् हरकत को

    नापाक नहीं कह सकती।

    संविदा की गर्दनें पतली होती हैं

    बड़ी आसानी से हाथ में जाती हैं,

    यदि अघोषित शर्तें पूरी हों तो

    बडी आसानी से गरदनिया दी जाती हैं,

    घोषित शर्तों की सरहद पर लाकर

    दर-बदर कर दी जाती हैं

    इस आशय के आरोप पत्र के साथ कि—

    अनुशासनहीनता और कार्य मे शिथिलता

    बरतने के कारण कार्य मुक्त करने की

    प्रबल संस्तुति की जाती है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अखिलेश जायसवाल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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