एक दिन जब सारे मुसलमान
ek din jab sare musalman
एक दिन जब सारे मुसलमान
इस धरती की तहों में सो जाएँगे या सुला दिए जाएँगे
दुनिया से सारे क़ुरआन उठा लिए जाएँगे या जला दिए जाएँगे
और सारी टोपियाँ अंतरिक्ष में खो जाएँगी
और दिन में पाँच बार सर पटकने वाली क़ौम फ़ना हो जाएगी
और जब आधा लखनऊ
आधा दिल्ली
आधा कानपुर
आधा बनारस
आधा पटना
आधा कलकत्ता
ख़ाली हो जाएँगे
और
सारे क़हक़हे
सारे छेड़
तमाम अहल-ए-सुख़न
और
रसूलन बुआओं
अज़ीज़न दादियों
नूरुल चाचाओं
सकीना बहनों
और सारे महमूद भाइयों से
ये दुनिया हमेशा-हमेशा के लिए ख़ाली हो जाएगी
उस दिन मेरे अज़ीज़ भाई
मेरे बच्चे
देखना
तुमने क्या खो दिया है!
- रचनाकार : अदनान कफ़ील दरवेश
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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