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दुश्मन

dushman

शरद बिलाैरे

शरद बिलाैरे

दुश्मन

शरद बिलाैरे

और अधिकशरद बिलाैरे

    एक दिन

    थके हुए बैल के सपने में

    उभरी हुई नसों वाले

    दो जवान और मज़बूत हाथों ने प्रवेश किया।

    बैल ग़ुस्से में उन्हें मारने दौड़ा

    और अपने सींगों में दबोच कर

    दिन भर सुनी हुई गालियाँ

    उन्हें वापिस लौटाई।

    फिर

    पुट्ठों पर बने कीलों के निशान गिनवाए।

    हथेलियों में अपने छाले को छिपा कर

    बैल की पीठ सहलाई

    बैल ने अपनी पीठ पर

    उन छालों को फूटते हुए महसूस किया

    हाथों ने उसे

    अपना आधा ख़ाली पेट दिखाया।

    बैल ने उस दिन

    अपने हिस्से का आधा भूसा नहीं खाया।

    दूसरे दिन से

    हाथ गाली नहीं देते

    बैल धीमे नहीं चलता

    एक दिन दोनों के सपने में

    गाँव पटेल प्रवेश करेगा।

    हाथ उसे दबोच कर

    बैल के आगे डाल देंगे

    बैल उसे सींगों पर उछाल देगा

    फिर

    सब मीठी नींद सो जाएँगे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : तय तो यही हुआ था (पृष्ठ 55)
    • रचनाकार : शरद बिलौरे
    • प्रकाशन : परिमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1982

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