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दूर कहीं कोई रोता है

door kahin koi rota hai

अटल बिहारी वाजपेयी

अटल बिहारी वाजपेयी

दूर कहीं कोई रोता है

अटल बिहारी वाजपेयी

और अधिकअटल बिहारी वाजपेयी

    तन पर पहरा, भटक रहा मन,

    साथी है केवल सूनापन,

    बिछुड़ गया क्या स्वजन किसी का,

    क्रंदन सदा करुण होता है।

    जन्म दिवस पर हम इठलाते,

    क्यों मरण-त्यौहार मनाते,

    अंतिम यात्रा के अवसर पर,

    आँसू का अशकुन होता है।

    अंतर रोएँ, आँख रोएँ,

    धुल जाएँगे स्वप्न सँजोए,

    छलना भरे विश्व में,

    केवल सपना ही सच होता है।

    इस जीवन से मृत्यु भली है,

    आतंकित जब गली-गली है,

    मैं भी रोता आस-पास जब,

    कोई कहीं नहीं होता है।

    दूर कहीं कोई रोता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मेरी इक्यावन कविताएँ (पृष्ठ 32)
    • संपादक : चंद्रिकाप्रसाद शर्मा
    • रचनाकार : अटल बिहारी वाजपेयी
    • प्रकाशन : किताबघर प्रकान
    • संस्करण : 2017

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