Font by Mehr Nastaliq Web

दो कविताएँ

do kavitayen

अनुवाद : केदार कानन

यात्री

यात्री

दो कविताएँ

यात्री

और अधिकयात्री

    एक

    सरसों के तेल मध्य

    आकंठमग्न शनि महाराज

    काले-कलूटे, बेढंग लौहमूर्ति

    प्रति सप्ताह एक दिन अर्थात सारा दिन

    चौराहे के बीचों-बीच

    रहते हैं विराजमान

    सिन्दूर का टीका लगाए!

    इन्हें भी अपने बच्चों की फिकर है

    दस पैसा ही सिक्का मैं भी इन्हें चढ़ा ही दूँ

    अभी तो यानी

    देख रहे है मेरी ही ओर

    सतर्क-साकांक्ष शनि महाराज

    सरसों के तेल मध्य, आकंठमग्न

    पुरानी दिल्ली स्टेशन से सटे दक्षिण

    आज भी दिनभर ये खड़े रहेंगे

    अपने भक्तों को एक टोकरी रेजगारी चढ़ौआ

    अर्पित करेंगे शाम तक।

    दो

    नाक पर से सुगंधित रूमाल

    हटाइए हुज़ूर

    कार से उतरकर

    दो-चार क़दम सड़क पर चलिए हुज़ूर

    आँखों से धूपछाँही चश्मा ज़रा

    उतार लीजिए हुज़ूर

    पीले मेंढ़क की भाषा सुनिए ज़रा हुज़ूर

    मडुऐ की रोटी का स्वाद तो उतार लीजिए हुज़ूर

    सरकार को अपूर्व ही लगेगा

    मज़दूर के ‘पाहुन’ होएँ ज़रा

    हुज़ूर, हाँ हुज़ूर!

    उसकी तलहत्थी के ठेले

    आपके कर-कमल को

    बर्दाश्त नहीं होंगे हुज़ूर,

    वह सात वर्षों से सरकार का ही ट्रैक्टर

    ड्राइव करता आया है

    हुज़ूर, हाँ हुज़ूर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मैथिली कविताएँ (पृष्ठ 11)
    • संपादक : ज्ञानरंजन, कमलाप्रसाद
    • रचनाकार : यात्री
    • प्रकाशन : पहल प्रकाशन
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए