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राजतिलक के वक़्त

rajatilak ke waqt

अजीत रायज़ादा

अजीत रायज़ादा

राजतिलक के वक़्त

अजीत रायज़ादा

और अधिकअजीत रायज़ादा

    एक दिन अचानक

    स्वर्ग सिधार गए महाराजाधिराज

    ‘द किंग इज़ डेड—

    लॉन्ग लिव किंग’—

    इस प्रथा के अनुरूप

    बिठा दिया सिंहासन पर राजकुमार को

    थमा दिया उसके हाथ में राजदंड

    पुराने विश्वस्त मंत्रियों ने

    और फिर वे सब

    बिछ गए क़ालीन की तरह

    युवराज के दरबार में

    श्री चरणों की जय-जयकार के साथ

    राजतिलक के वक़्त

    भर आई आँखें युवराज की

    और खिलने लगीं चेहरे पर

    अस्पष्ट प्रजातांत्रिक मुस्कान

    जिसे सहेज लिया आहिस्ता से

    टीवी प्रेस कैमरों ने

    भावी पीढ़ियों की ख़ातिर!

    भीड़ की हर्षध्वनियों से

    गूँज उठे, धरती-आकाश

    सचमुच, बहुत ही सुंदर

    लग रहे थे राजकुमार

    रत्नजटित स्वर्ण मुकुट पहने!

    स्वर्गीय महाराजाधिराज की

    आत्मा की शांति के लिए

    जुटाया गया हर नागरिक

    लपक रहा था अब

    ख़ैरात में बाँटे गए दो रुपए और

    बासी पूड़ी-सब्ज़ी का पैकेट लिए

    घर की ओर

    ताकि वह इस ख़ुशी को

    बाँटकर खा सके

    दो दिनों से भूखे बाल-बच्चों के साथ!!

    स्रोत :
    • पुस्तक : हाशिए पर आदमी (पृष्ठ 52)
    • रचनाकार : अजीत रायज़ादा
    • प्रकाशन : परिमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1991

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