छुपाना एक असंभव क्रिया है प्यार में
chhupana ek asambhaw kriya hai pyar mein
मनोज कुमार पांडेय
Manoj Kumar Pandey
छुपाना एक असंभव क्रिया है प्यार में
chhupana ek asambhaw kriya hai pyar mein
Manoj Kumar Pandey
मनोज कुमार पांडेय
और अधिकमनोज कुमार पांडेय
कहती हो कि अपना प्यार छुपाकर रखो
बंद कर दो उसे अपने भीतर की सबसे अँधेरी कोठरी में
भनक तक न लगे दुनिया को
और तेरे रक़ीब को तो ज़रा भी नहीं
मैं अपनी आँखों को फोड़ लूँ कि न दिखे तेरा चेहरा
मैं अपनी चमड़ी के रंग का क्या करूँ
जिसके भीतर से झलकता है तेरा ही रंग
बोलता हूँ तो शब्द निकलते हैं तेरे लिए
सोचता हूँ तो होती है तू ही मेरे माथे पर
चलता हूँ तो तेरी तरफ़ चलता हूँ
मेरे बदन पर हैं तेरे अनंत निशान
इतनी चीज़ें कहाँ छुपाऊँ मेरी जान
छुपाना कुछ भी मुमकिन नहीं है मेरे लिए
मर भी नहीं सकता कि जलूँगा मैं तो जलेगी तू भी
हवा में बिखर जाएगी तेरी महक मेरी महक जान
छुपाना एक असंभव क्रिया है प्यार में
जब मैं छुपाने का अभिनय कर रहा होता हूँ
सब मुझे ही देख रहे होते हैं
सबको पता है कि यह अभिनय ही है
और इसे प्यार छुपाने वाले की भूमिका मिली है
जब तक है मंच पर प्रकाश और प्रेक्षागृह में दर्शक
यह अपना प्यार छुपाएगा
यह अपनी भूमिका में डूब गया है इतना
किसी और भूमिका के क़ाबिल ही नहीं बचा
दर्शक नहीं होंगे तब भी छुपाएगा अपना प्यार
ताली कौन बजाएगा
- रचनाकार : मनोज कुमार पांडेय
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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