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बेनामी दिन

benami din

प्रेमशंकर शुक्ल

प्रेमशंकर शुक्ल

बेनामी दिन

प्रेमशंकर शुक्ल

और अधिकप्रेमशंकर शुक्ल

    आप मुझे प्रेमशंकर शुक्ल के नाम से पुकारते हैं

    और जानते भी हैं इसी नाम से

    इस नाम से ही मेरा पता-ठिकाना

    पहचान भी है

    मैं इस नाम से बाहर

    उन दिनों का क्या करूँ

    नहीं था जब मेरा यह नाम

    पैदा हुआ फिर

    कई दिनों बाद हुआ है मेरा नामकरण

    इसीलिए बेनामी दिन

    मेरे नाम की उम्र के बाहर ही

    करते हैं मुझसे बात-व्यवहार

    नाम की आयु के साथ उन्हें भी जोड़ने का चलन है

    लेकिन बेनामी दिन अपनी शिशुता या वत्सलता पर

    यह अनुचित हस्तक्षेप मानते हैं!

    मेरी मातृ-भाषा के पहले की

    अपनी स्मृति-भाषा में ही बेनामी दिन कहते हैं कि

    जब हम तुम्हारे नामकरण के पहले के हैं

    तब हमें नाम के साथ जोड़ना नहीं है समीचीन

    कुछ देर की चुप्पी के बाद

    बेनामी दिनों ने समवेत स्वर में कहा कि

    उलझन में क्यों पड़ गए हो तुम

    तुम कवि हो लिखो अपनी कविता में

    सुस्पष्ट यह बात कि

    नाम के साथ बताई जाती उम्र

    व्यक्ति की होती है

    नाम की क़तई नहीं

    बेनामी दिनों ने ही

    नाम के बाहर

    नाम की अस्मिता का उद्घाटन किया है

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रेमशंकर शुक्ल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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