बजरडीहा
bajardiha
नल का पानी
जहाँ उतरकर सड़क पर जमे
और शर्म से काला पड़ जाए
जहाँ मर्द आँत के रेशों को बुनकर
संसार की सबसे सुंदर स्त्री के लिए साड़ियाँ तैयार करते हों
औरतें
हया को ज़रूरत मानकर
चिथड़ों में लिपटी हुई
धागों के थान लपेट रही हों
दुनिया के ट्रेडमिल पर हाँफने के साथ जहाँ
रात की रोटी
अगली सुबह के लिए पानी में ग़र्क़ कर दी जाती हो
जहाँ करघों के खटर-पटर में दुधमुँहे की आवाज़
अनंत कालों के लिए दबा दी जाती हो
जहाँ करघा ही माँ है बाप है भाई है स्कूल है
नवाज़ुद्दीन की किसी फ़िल्म का डायलॉग है
करघे का चलना साँसों का चलना है
करघे का बंद होना
किसी कुपोषित बच्चे का अनाथ होना है
अच्छे दिन जहाँ दिन में भी झाँकने नहीं आते
अच्छे दिन के लिबास वहीं से जाते हैं
ये वही बजरडीहा है
ऐ मेरे मदमस्त बनारस
बता न
बजरडीहा में तेरा पता क्या है?
- रचनाकार : अरमान आनंद
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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