बड़ी उम्र में कार चलाना सीखने के बारे में
baDi umr mein kar chalana sikhne ke bare mein
राजेश जोशी
Rajesh Joshi
बड़ी उम्र में कार चलाना सीखने के बारे में
baDi umr mein kar chalana sikhne ke bare mein
Rajesh Joshi
राजेश जोशी
और अधिकराजेश जोशी
बहुत कठिन काम है बड़ी उम्र में सीखना कार चलाना!
अभ्यास के बाद जब हम लौटते हैं वापस तो शरीर नहीं दिमाग़
इतना थक चुका होता है कि आते ही ढेर हो जाते हैं बिस्तर पर
बिस्तर पर भी लेकिन चैन नहीं, लेटे-लेटे लगता है अचानक
कि हम कार चला रहे हैं।
और दौड़ता हुआ एक बच्चा आ जाता है कार के ऐन सामने
हम हॉर्न बजाना भूल जाते हैं और ज़ोर से चिल्लाते हैं
ब्रेक लगाने के लिए हड़बड़ी में डालते हैं पाँव पर दबाव
और ग़लती से दब जाता है एक्सीलेटर...
एक दुर्घटना! भयानक दुर्घटना एकाएक!!
पसीना-पसीना होते घबराकर आँख खोलते हैं हम
बहुत तेज़-तेज़ धड़कता है दिल
बड़ी उम्र में सीखना कार चलाना सचमुच एक कठिन काम है
उम्र बढ़ने लगती है जैसे-जैसे, हम बचाना चाहते हैं जीवन
अपना भी और दूसरों का भी
बड़ी उम्र में डर लगता है दुर्घटनाओं से, दुश्चिंताएँ सताती हैं
कम होने लगता है रोमान और अक़्ल ज़्यादा तर्क करने लगती है
कलेजा हलक़ को आ जाता है तेज़ गति से चलते वाहन में बैठने पर
बचना चाहते हैं हम किसी भी नए काम को सीखने से
किसी भी नए जोखिम से
बड़ी उम्र में ज़िद काम नहीं आती
डींग मारते हैं हम कि हम भी कर सकते हैं वो हर काम
जो कर सकते हैं नई उम्र के लड़के
पर अंदर ही अंदर कोई कहता है... नहीं, नहीं कर सकते
हम झेंप छिपाते हुए कहते हैं ‘लेकिन अब इस उम्र में
अच्छा नहीं लगता यह सब करना'
आसान नहीं होता सीखना बड़ी उम्र में कार चलाना
भयानक दिवास्वप्न पीछा करते हैं लगातार
हम बार-बार ग़लतियाँ करते हैं, गेयर डालने से डरते हैं
प्रशिक्षक चिल्लाता है बार-बार, कहता है...
‘आप इतने बड़े हैं कि आप पर चिल्लाना भी अच्छा नहीं लगता’
वो बार-बार हम पर खीझता है और तरस खाता है
वो बार-बार हमें हमारी उम्र का एहसास कराता है!
- पुस्तक : प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 102)
- रचनाकार : राजेश जोशी
- प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
- संस्करण : 2015
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