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शोषण

shoshan

जुमई खाँ 'आजाद'

और अधिकजुमई खाँ 'आजाद'

    हमार मन मारि-मारि हमका दबाया।

    हाथी के गर्दन बाल्लम के चोटिया,

    गोड़वा माँ बेड़िया गटइया माँ पेटिया।

    पिपरा कै पतिया तू उपरा लदाया,

    हमार मन मारि-मारि हमका दबाया॥

    बनि चरवहवा मवेशिया बगोड्‌या।

    बसवा को लठिया से जोरवा बटोरया,

    गड़‌हियौ कै पनियों तू गोहणिल पियाया,

    हमार मन मारि भारि हमका दबाया॥

    जोरदार मनई की पशु मोरे भइया,

    लरिका गाइयाँ फंसावइ गटइया।

    मड़नियों माँ कनवाँ धड़के घुमाया,

    हमार मन मारि-मारि हमका दबाया॥

    अपने वतनवा कै मन जब मरि गया,

    आवा विदेशिया गुलाम हमें करि गवा।

    लुटाय लेह्रया देशवा, तू घटिया कमाया,

    हमार मन मारि-मारि हमका दबाया॥

    हमहूँ गदेलवन का अपने पढ़उबै,

    तोहरे किये कै हम बदला चुकउबै।

    दोनकिय से दनवा तू हमसे बिनाया,

    हमार मन मारि-मारि हमका दवाया॥

    स्रोत :
    • रचनाकार : जुमई खाँ 'आजाद'
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए शैलेंद्र कुमार शुक्ल द्वारा चयनित

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