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और मैं सिगरेट पीता हूँ

aur main cigarette pita hoon

शरद बिलाैरे

शरद बिलाैरे

और मैं सिगरेट पीता हूँ

शरद बिलाैरे

और अधिकशरद बिलाैरे

    रोचक तथ्य

    यह कविता किसी और दिन लिखी गई थी, लेकिन आज अचानक बहुत महत्त्वपूर्ण हो गई है। 18 महीनों के लंबे इलाज के बाद आज मेडिकल फिटनेस की रिपोर्ट आ गई है। मुझे पूर्णरूपेण स्वस्थ करार दे दिया गया है। अतः अब तो टी.बी. की बीमारी का एहसास भी कभी (कॉलेज के प्रारंभिक दिनों में) पूर्ण भावुकता से किए गए (असफल) प्यार के एहसास जैसा लगने लगता है, जो कभी-कभी किन्हीं निजी क्षणों में भीतर, बहुत भीतर कहीं सालता है और फिर से बीमार होने का मन करता है और मैं सिगरेट पीता हूँ। (लेखक की डायरी से)

    वह टी.बी. का मरीज़

    रात साढ़े ग्यारह बजे

    टी.बी. हॉस्पिटल के सामने से

    सिगरेट पीता गुज़रता है

    अस्पताल के इतने बड़े बरामदे में

    अकेले जल रहे

    चालीस वाट के बल्ब को देख

    मुस्कुराता है

    खाँसते-खाँसते

    रास्ते ही में थक जाता है

    और घर पहुँच कर

    एक गिलास पानी के साथ

    एक गोली खाकर सो जाता है

    सिगरेट

    रात भर

    उसके खोखले सीने में

    लगातार जलती है

    सुबह

    वह फिर सिगरेट पीता है

    खाँसता है

    गोली खाता है

    उसे यह सब

    प्यार करने जैसा लगता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : तय तो यही हुआ था (पृष्ठ 81)
    • रचनाकार : शरद बिलौरे
    • प्रकाशन : परिमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1982

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