आत्मकथा लिखने से पहले ख़ुद से कुछ सवाल
atmaktha likhne se pahle khu se kuch sawal
बसंत त्रिपाठी
Basant Tripathi
आत्मकथा लिखने से पहले ख़ुद से कुछ सवाल
atmaktha likhne se pahle khu se kuch sawal
Basant Tripathi
बसंत त्रिपाठी
और अधिकबसंत त्रिपाठी
मैं कैसे याद करता हूँ अपने अतीत को
क्या अपने अतीत में
केवल मैं ही रहता हूँ
अपनी रुचियों, चाहतों, पराज़यों के साथ
या मेरा पड़ोसी भी
क्या मैं अपनी ही भाषा का पीछा करता हूँ
क्या मैं अपने ही गाए गीतों को
फिर-फिर गुनगुनाता हूँ
मेरे अतीत की यादों में
क्या मेरे देखे हुए पक्षी ही अपने पंख फड़फड़ाते हैं
क्या मेरे अदीख का कोई दुःख
अक्षम्य अपराध की तरह
हावी होता है कभी मुझ पर
मसलन यदि मैं अपने बनारस के जीवन को याद करता हूँ
तो क्या बस्तर का नहीं जिया गया जीवन
सालता है मुझे
मैं अपनी पसंदगी-नापसंदगी-उदासीनता के अलावा
क्या कभी कुछ और भी दर्ज करने की सोचता हूँ
राख में भी चीज़ों की पहचान छुपी होती है
और हर राख एक-सी भी नहीं होती
क्या मैं राख का मुआयना करने की ख़ातिर
लौटना चाहता हूँ अपने जीवन के दहक चुके पन्नों में
कितनी-कितनी गिरहें हैं जीवन में
कितनी-कितनी उलझनें
कभी कुछ भी सुलझता नहीं है पूरा-पूरा
हर राह
हज़ार पगडंडियों में फूटती है
हर पूरी हुई इच्छा
बीसियों अनिच्छाओं का मक़बरा है
कितना भी ख़ाली करो गिलास
तलछटी में कुछ न कुछ रह ही जाता है
क्या मैं छूट गए सामान की तलाश में
लौटना चाहता हूँ अपनी ज़िंदगी के अलक्षित कोनों में
क्या मैं वह बाँसुरी फिर बजाना चाहता हूँ
जिसे ठीक तरह से तब भी नहीं बजा पाया था
कहीं ऐसा तो नहीं कि
मैं अपनी पराजय का उत्सव मनाना चाहता हूँ?
- रचनाकार : बसंत त्रिपाठी
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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