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अश्रु-लिपि

ashru lipi

मदनलाल डागा

मदनलाल डागा

अश्रु-लिपि

मदनलाल डागा

और अधिकमदनलाल डागा

    कई बार

    मैं इसी तरह ख़ामोश रहकर

    पोस्टर-सा चिल्लाता हूँ

    करता हूँ विज्ञापन

    ज़माने के दर्द का!

    पर इस दर्द को वे ही पढ़ सकते हैं।

    जो अश्रु-लिपि जानते हैं!

    जो ज़िंदगी को

    हास्य का पर्याय नहीं मानते हैं!

    स्रोत :
    • पुस्तक : आँसू का अनुवाद (पृष्ठ 15)
    • रचनाकार : मदनलाल डागा
    • प्रकाशन : संगम प्रकाशन
    • संस्करण : 1973

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