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बड़ा और छोटा

baDa aur chhota

अनुवाद : नवारुण वर्मा

लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ

लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ

बड़ा और छोटा

लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ

और अधिकलक्ष्मीनाथ बेजबरुआ

    एक

    दूब-पत्ती की नोकों पर

    मोती पिरोती ओस चली

    मलय हवा उदार स्नेह-करों से

    बुहारती आँगन की धूल फैली।

    दो

    चमकती पंक पर के पंकज की पंखुड़ी

    पास आसमान का हास नवल

    उड़ रहे पराग कण ओह

    पा प्यार का चुंबन निर्मल।

    तीन

    पर्वत शिखर की नन्ही निर्झरणी

    उतर चली धरा की छाती पर

    स्नेह-सने करों से करती धरती आलिंगन

    रंगों में रही—वह वंदिनी बनकर।

    दूर्वा दल से भी लघुतम तू लक्ष्मीनाथ

    धूल-कण से भी लघुतम धूल-कण

    नहीं भूलेगा तुझे भी तेरा प्रियतम

    लेगा आदर से पुकार कर जीवन-पावन।

    स्रोत :
    • पुस्तक : बेजबरुआ की चुनी हुई रचनाएँ (पृष्ठ 20)
    • संपादक : नगेन सैकिया
    • रचनाकार : लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ
    • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास
    • संस्करण : 2008

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