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सुनहरे केशों में उसके

sunahre keshon mein uske

अनुवाद : सुरेश सलिल

माइकेल ऐंजेलो

अन्य

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माइकेल ऐंजेलो

सुनहरे केशों में उसके

माइकेल ऐंजेलो

और अधिकमाइकेल ऐंजेलो

    सुनहरे केशों में उसके

    गजरा फूलों का,

    प्रफुल्लित—

    मृदुल हाथों गूँथा गया,

    इतना आनंदित

    कि प्रत्येक फूल अगले फूल को ठेलता हुआ-सा—

    होड़ लगी हो मानो

    कौन पहले चूम ले उसका माथा।

    कसा हुआ बँधा है वह जो परिधान

    उसके स्तनों को घेरता

    और फिर मगन मन अधोमुख झूलता

    खुले-खिले दिन की ख़ुशी जैसा ख़ुश है,

    और वह जाली; बुनी हुई सोने के तारों से,

    छूते नहीं थकती

    उसके कपोलों को

    उसकी ग्रीवा को,

    किंतु वह प्रमुदित डोरी

    बटी गई जो सोने के बारीक धागों से

    इन सबसे कहीं अधिक हुलसित,

    सजाया ही गया है उसे कुछ ऐसे

    कि छूती हुई—दबाती हुई

    अपने घेरे में लिए वक्षस्थल को।

    और वह मामूली-सा कमरबंद

    लिपटा है जो उसकी कमर के चारों ओर :

    कह रहा हो मानो—

    “काश, मैं किए रहूँ आलिंगित

    जीवन-भर इसी तरह इसे!

    तब फिर

    क्या बचेगा भला

    मेरी इन बाँहों के लिए?

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 407)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : माइकेल ऐंजेलो
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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