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अनपैक्ड

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अलंकृति श्रीवास्तव

और अधिकअलंकृति श्रीवास्तव

    कई बार भावनाएँ

    शब्दों में समा नहीं पाती

    हठात उड़ेलो

    तो यहाँ वहाँ से ढलकने लगती हैं

    अब जो पृथ्वी पर है सबसे मूल्यवान

    उसका व्यर्थ होना ठीक है क्या?

    इसलिए

    भावनाओं को छोड़ देना होता है

    शब्दों से मुक्त

    अनपैक्ड......

    परंतु

    इस दुनिया में हावी होता बाज़ार

    पैकिंग रहित कुछ स्वीकारता ही नहीं...

    तब वही मुक्त भावनाएँ

    जो अस्वीकृत होती हैं

    पर मरती नहीं...

    समय आने पर

    मूर्त होकर

    भूस्खलन में

    बनती हैं

    सबसे अडिग आधार

    बाढ़ों में बनती हैं

    अपरिमित ऊँचाई

    और तूफ़ानों में

    सबसे दृढ़ संबल...

    स्रोत :
    • रचनाकार : अलंकृति श्रीवास्तव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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