आदमी
adami
एक
उस आदमी के पेट में
मछलियाँ तैरती थीं
और दिल में
गौरैय्या चिड़ियों का झुंड
और दिमाग़ में
सिर्फ़ ज़हरीले साँपों का गुच्छा
भला कब तक जीता ऐसे
मर गया बेचारा
या मार दिया गया हो
पता नहीं
आशंका तो आत्महत्या जैसी भी है।
दो
छोटे शहर या शायद किसी गाँव से आया आदमी था
बड़े शहर में आकर
और छोटा हो गया आदमी
इतना छोटा
कि चींटियों ने
शक्कर के दाने की तरह कुतर कर चट्ट कर लिया।
तीन
आदमियों जैसी कोई आदमियत न थी उसमें
इस तरह का आदमी
कि सारे आदमियों की राय में
अच्छा आदमी
इतना
कि सब कहते
अच्छा आदमी है
इसे मर जाना चाहिए
वरना मार दिया जाएगा
ऐसा आदमी।
- रचनाकार : शैलेंद्र साहू
- प्रकाशन : सदानीरा वेब पत्रिका
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